Bangladeshi Civil Servants :- बांग्लादेश के सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए भारत में उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीजी) द्वारा विदेश मंत्रालय (एमईए) की साझेदारी में यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीबीपी) आयोजित किया गया। केंद्र सरकार के मुताबिक अब तक 2,145 बांग्लादेशी अधिकारियों को यह प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। दो सप्ताह तक चला यह 60वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीबीपी) था जो 2 जून को संपन्न हुआ। 2025 तक 1,800 सिविल सेवकों की अतिरिक्त क्षमता बढ़ाने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ एक समझौता किया गया है।
कोविड 19 महामारी के बाद पिछले दो वर्षों के भीतर एनसीजीजी बांग्लादेश के 517 अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान कर चुका है। केंद्र सरकार का कहना है कि 21वीं सदी को ‘एशियाई सदी’ कहा जाता है। यह दक्षिण एशियाई देशों को खुद को विकसित देशों में बदलने और अपने नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपसी सीख को बढ़ावा देना और ई-गवर्नेंस को अपनाकर नागरिक केंद्रित सार्वजनिक नीतियों और सुशासन पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय के अनुसार, यह अन्य विकासशील देशों को उनके सिविल सेवकों और टेक्नोक्रेट की क्षमताओं को मजबूत करने के उनके प्रयास में भी मदद कर रहा है। इस मिशन के अनुसरण में, विदेश मंत्रालय ने नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीजी) की पहचान ‘फोकस संस्थान’ के रूप में की है।
परिणामस्वरूप एनसीजीजी अपना और अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहा है। बांग्लादेश के सिविल सेवकों के लिए 60वें सीबीपी के समापन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक भरत लाल ने की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इन क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को ज्ञान और नवीन प्रथाओं के आदान-प्रदान की सुविधा के प्राथमिक उद्देश्य के साथ सावधानी से क्यूरेट किया जाता है, जिन्हें भारत में शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए सफलतापूर्वक लागू किया गया है। सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से भारत का लक्ष्य विश्व स्तर पर शासन प्रणालियों के विकास और मजबूती में योगदान देना है। महानिदेशक ने भाग लेने वाले अधिकारियों से सीबीपी से चार-पांच प्रमुख सीखों की पहचान करने का आग्रह किया, जिन्हें वे अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर आवश्यक संशोधनों के साथ अपना और दोहरा सकते हैं। उन्होंने समाज में सिविल सेवकों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर भी बात की। उन्होंने सिविल सेवकों से लोगों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी होने तथा समयबद्ध सार्वजनिक सेवा वितरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
जन-केंद्रित ²ष्टिकोण अपनाकर और प्रभावी समस्या-समाधान पर ध्यान केंद्रित करके, सिविल सेवक जनता की भलाई में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं और शासन प्रणाली में विश्वास बढ़ा सकते हैं। उन्होंने उनसे आवास, पानी, शौचालय, रसोई गैस, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय सेवाओं और कौशल विकास जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए तेजी और गुणवत्ता के साथ काम करने का आग्रह किया। उन्होंने रेखांकित किया कि ‘एशियाई शताब्दी’ एक परिवर्तनकारी चरण का प्रतिनिधित्व करती है, जहां दक्षिण एशियाई देशों को प्रमुख वैश्विक शक्तियों के रूप में उभरना चाहिए। एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविध अर्थव्यवस्थाओं और एक युवा और गतिशील आबादी के साथ, दक्षिण एशिया में सतत विकास और विकास के लिए आवश्यक सामग्री मौजूद है। महानिदेशक ने आम चुनौतियों का समाधान करने, सीमांत समुदायों के उत्थान और इस क्षेत्र में नागरिकों के जीवन में सुधार के लिए इन शक्तियों का लाभ उठाने के महत्व पर बल दिया। (आईएएनएस)