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आज है ग्लोबल हग योर किड्स डे

नई दिल्ली। आज ग्लोबल हग योर किड्स डे (Global Hug Your Kids Day) है। अपने बच्चों को बांहों में भरकर जोर की झप्पी देने का दिन। हर साल जुलाई महीने के तीसरे सोमवार को इसे मनाया जाता है। ग्लोबल हग योर किड्स डे यानि अपने बच्चे को आलिंगनबद्ध करने का दिन। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तो इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। ये दिन हमें मौका देता है कि हम अपने बच्चों के साथ एक अतिरिक्त समय गुजार सकें, उन्हें थोड़ा और समझ सकें। आखिर ऐसे दिन की जरूरत क्या हैऔर कब हुई इसकी शुरुआत! कहानी मर्मस्पर्शी है। दिल्ली के मनोचिकित्सक डॉ अशोक शर्मा (Ashok Sharma) ने इस डे के बारे में बताया।उन्होंने कहा- मिशेल निकोल्स ने इस डे की नींव रखी। 

पहला ग्लोबल हग योर किड्स डे 2008 में मनाया गया। उन्होंने अपने बेटे मार्क की मौत के बाद ये फैसला लिया। मार्क आठ साल की उम्र में कैंसर (Cancer) से जिंदगी की जंग हार गया। उसकी मृत्यु के दस साल बाद, मिशेल निकोल्स माता-पिता को याद दिलाना चाहती थीं कि बचपन क्षणभंगुर है और उन्हें अपने बच्चों को गले लगाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना चाहिए। वैसे भी किसी को गले लगाना अपना स्नेह जताने का सबसे बढ़िया तरीका है। संभवतः हज़ारों सालों से एक सांस्कृतिक और पारिवारिक रिवाज़ रहा है, शायद मानवता की शुरुआत से ही। इसे अपना दुलार, अपने भाव दर्शाने का अचूक मंत्र कहा जा सकता है। 

वैसे यह सुकून पहुंचाने के तरीके के रूप में एक सहज क्रिया भी हो सकता है। ग्लोबल हग योर किड्स डे (Global Hug Your Kids Day) मनाना भी सबसे सरल और आसान दिनों की तरह ही है। बस अपने लाडले या लाडली को गले ही तो लगाना है। वैसे तो मां पिता के प्यार को मापने का कोई पैमाना नहीं है लेकिन इस एक दिन को थोड़ा और खास बनाएं और अपने बच्चों को ग्लोबल हग योर किड्स डे के सम्मान में एक अतिरिक्त झप्पी दें। बच्चे को सराहें और उसे अति विशिष्ट फील कराएं। डॉ अशोक शर्मा (Ashok Sharma) कहते हैं जरूरी है। भले ही आपके बच्चे आपको गुस्सा दिलाते हो, बढ़ते बच्चे माता पिता के सिरदर्द का कारण बनते हों लेकिन ये भी तो तय है न कि वो आपका सबसे बेहतरीन उपहार और आशीर्वाद हैं। 

चिकित्सक मानते हैं कि एक झप्पी कई समस्याओं का हल है। एक प्यारा भरा हग सेहत के लिए भी नेमत है। डॉक्टर्स कहते हैं कि इससे तनाव कम होता है। वो भी तब जब बच्चों के लिए भटकाव के सौ कारण हों। आजकल सोशल मीडिया (Social Media) तो सबसे बड़ा है। अगर बड़ों की समस्याएं हैं तो बच्चों के लिए भी कम नहीं। तेजी सी भागती दुनिया में 10 सेकंड या उससे अधिक की झप्पी उनके और आपके भी तनाव को कम कर सकती है। डॉ शर्मा सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर की बात करते हैं। सेरोटोनिन, जिसे मूड को नियंत्रित करने और मन को खुश रखने वाले हार्मोन (Hormones) के रूप में जाना जाता है। कहते हैं। बच्चे को जब आप अकारण हग करते हैं तो ये हार्मेन सीक्रिट होता है और उसके व्यक्तित्व के लिए अच्छा होता है। 

बच्चे को आप हग करते हैं तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और वो समाज का अच्छे से सामना करने में सक्षम होता है। आखिर इस दिन की जरूरत हमारे भारतीय समाज (Indian Society) में क्यों होनी चाहिए? इस सवाल पर कहते हैं, मेरा मंत्र है फर्स्ट फेक इट एंड देन मेक इट। दरअसल, हमारे यहां आलिंगन संस्कृति नहीं है तो ऐसे में एक दिन से ही शुरुआत कर देते हैं। इसके बाद रोज आदत डालें और देखें बदलाव स्वत: आ जाएगा। एक खास बात गले लगाते वक्त शब्दों को बड़ी सावधानी से इस्तेमाल करना न भूलें। चाहे सर्दी और फ्लू का मौसम हो या सामान्य जीवन, गले लगने से किसी की भी प्रतिरक्षा प्रणाली को मदद मिल सकती है जो संक्रमण से लड़ने में शरीर की सहायता करती है और सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। 

इतना ही नहीं गले लगने से स्वास्थ्य, सुरक्षा और संरक्षा की भावना मिलती है, जिससे चिंता और अवसाद कम हो सकता है। और आखिर में सबसे जरूरी और अहम बात बच्चे का मूड देखकर भी उसे गले लगाएं, कहीं ये न हो कि दोस्त से झगड़ के आया हो और आप उसके जबरदस्ती आलिंगन (Hug) की कोशिश करने लगें। यह न भूलें कि बिना पूछे बच्चे को गले लगाना सीमाओं को पार कर सकता है जिससे वे असहज और कम सुरक्षित महसूस कर सकते हैं। तो, बस सुनिश्चित करने के लिए, पहले गले लगाने के लिए कहें – और उन्हें मना करने की आज़ादी दें। अगर उन्हें गले लगने में कोई दिलचस्पी नहीं है, तो शायद हाई फाइव एक अच्छा विकल्प हो सकता है!

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By NI Desk

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