विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की चौथी बैठक में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सबको हैरान कर दिया। उन्होंने अचानक बैठक में विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा पेश करनी की जरुरत बता दी और अपनी ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सुझा दिया। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तुरंत इसका समर्थन किया। इसके बाद खबर आई कि बैठक में शामिल 28 में से 12 पार्टियों ने दलित नेता को चेहरा बनाने का सुझाव दिया। हालांकि खड़गे ने तुरंत इस प्रस्ताव पर विराम लगा दिया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ममता बनर्जी ने यह सुझाव क्यों दिया?
गौरतलब है कि ममता बनर्जी जब सोमवार को दिल्ली के लिए रवाना हो रही थीं तब कोलकाता हवाईअड्डे पर उन्होंने कहा था कि वे कांग्रेस और लेफ्ट के साथ तालमेल के लिए तैयार हैं, लेकिन प्रधानमंत्री का चेहरा पहले तय नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन जब वे दिल्ली आईं तो उनका विचार बदल गया और उन्होंने यू टर्न ले लिया। चेहरा नहीं पेश किया जाना चाहिए से सीधे खड़गे का नाम प्रस्तावित कर दिया।
असल में यह ममता बनर्जी और कुछ अन्य नेताओं की ओर से राहुल गांधी को रोकने की कोशिश का हिस्सा है। उन्होंने कोलकाता में जो कहा था कि चेहरा पेश करने की जरुरत नहीं है वह भी इसी मकसद से कहा था। उनको लग रहा था कि कहीं कांग्रेस राहुल का चेहरा पेश करने की बात न कहे। इसलिए उन्होंने पहले ही कह दिया कि चेहरा पेश नहीं किया जाएगा। लेकिन दिल्ली आने पर उनकी बात अरविंद केजरीवाल से हुई और समझा जा रहा है कि चेहरा नहीं पेश किया जाए से बेहतर उपाय यह सुझाया कि खड़गे का नाम प्रस्तावित कर दिया जाए। इस दांव से इन दोनों नेताओं ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि अब कांग्रेस राहुल का नाम नहीं बढ़ाएगी क्योंकि ऐसा हुआ तो भाजपा भी कहेगी कि दलित नेता खड़गे की जगह कांग्रेस परिवार के व्यक्ति को आगे बढ़ा रही है।