अडानी ग्रुप देशभक्ति की भावना को अपना आवरण बनाने की कोशिश की है। लेकिन इस बचाव को बहुत से लोग या तो विनोद-प्रियता के साथ लेंगे, या फिर इस पर उन्हें गुस्सा आएगा। किसी उद्योग घराने को भारत का समानार्थी बताना एक तरह का दुस्साहस है।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के ठोस आरोपों का जवाब देते हुए अडानी ग्रुप ने इसे भारत पर हमला और भारतीय अर्थव्यवस्था को नष्ट करने की साजिश बताया है। इस तरह उसने देशभक्ति की भावना जगा कर उसे अपना आवरण बनाने की कोशिश की है। लेकिन इस बचाव को बहुत से लोग या तो विनोद-प्रियता के साथ लेंगे, या फिर इस पर उन्हें गुस्सा आएगा। इसलिए कि किसी व्यक्ति या उद्योग घराने को भारत का समानार्थी बताना एक तरह का दुस्साहस ही है। बहरहाल, अडानी ग्रुप के 413 पेज के जवाब पर हिंडनबर्ग रिसर्च की प्रतिक्रिया गौरतलब है। उसने कहा है- ‘हम इस बात में यकीन करते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है। वह एक उभरती विश्व शक्ति है, जिसका भविष्य रोमांचक है। लेकिन हम यह भी मानते हैं कि भारत के भविष्य को अडानी ग्रुप ने बंधक बना रखा है, जो खुद को राष्ट्रीय झंडे के आवरण में रख कर देश को लूट रहा है।’
शायद इस संस्था को ऐसी बातें कहने का मौका नहीं मिलता, अगर अडानी ग्रुप अपने को लगे आरोपों और उठे सवालों के बिंदुवार जवाब देने तक सीमित रखता। साथ ही एलान करता कि अमेरिकी अदालत में वह हिंडनबर्ग पर मुकदमा ठोकने जा रहा है। इससे अडानी ग्रुप के प्रति भारत में तुरंत भरोसा पैदा होता। इसके बजाय खुद पर लगे धोखाधड़ी और हेरफेर के लगे आरोपों को भारत पर हमला बता कर उसने अपने प्रति जनता के एक हिस्से के मन में आक्रोश पैदा किया है। हिंडनबर्ग ने अपने जवाब में कहा है कि उसने जो 88 सवाल पूछे थे, अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया में उनमें से 62 पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। हिंडनबर्ग का दावा है कि जिन प्रश्नों के उत्तर अडानी ग्रुप ने दिए हैं, उन पर “उसने या तो आरोपों की पुष्टि कर दी है, या फिर हमारे (इस संस्था) निष्कर्षों की अनदेखी करने की कोशिश की है।” एक बार फिर ये गंभीर आरोप हैं। इसका एकमात्र हल यही है कि अडानी ग्रुप अमेरिकी अदालत में हिंडनबर्ग पर मुकदमा दायर करे। वरना, भारत में भी हिंडनबर्ग के निष्कर्षों पर यकीन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जाएगी।