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क्या है वह चोट, जो नीरज चोपड़ा के ‘गोल्डन थ्रो’ में बनी बाधा?

नई दिल्ली। भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने पेरिस ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद कहा था कि उनके दिमाग में कहीं न कहीं उनकी चोट के उभरने का डर था। रिपोर्ट के मुताबिक, नीरज चोपड़ा इंगुइनल हर्निया की पुरानी समस्या से पीड़ित हैं। टॉप एथलीटों के लिए, इंगुइनल हर्निया काफी गंभीर हो सकता है, और उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, इंगुइनल हर्निया के सावधानीपूर्वक प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इंगुइनल हर्निया में एब्डोमिनल सॉफ्ट टिश्यू, कमजोर लोअर एब्डोमिनल वॉल के जरिए ग्रोइन एरिया में दबाव डालते हैं। रिपोर्ट के अनुसार पेरिस ओलंपिक (Paris Olympics) में नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन इस समस्या के कारण प्रभावित हुआ था। 26 वर्षीय भाला फेंक स्टार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह लंबे समय से इस समस्या से पीड़ित हैं।

उन्होंने कहा था कि उनके दिमाग में इस चोट को लेकर डर बना रहता है। डॉक्टर सुश्रुत शेट्टी, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, जीआई ऑन्को और रोबोटिक सर्जरी, नारायण हेल्थ सिटी, बेंगलुरु ने आईएएनएस को बताया इंगुइनल हर्निया की समस्या नीरज चोपड़ा जैसे एथलीटों में आम है, क्योंकि उनके खेल की डिमांड की वजह से इंट्रा एब्डोमिनल प्रेशर बढ़ सकता है। इंगुइनल हर्निया के चलते दर्द, ग्रोइन में विजुअल बल्ज (Visual Bulge) जैसी परेशानियां हो सकती हैं। यह दिक्कत खांसने, वजन उठाने या एक्सरसाइज करने के दौरान बढ़ जाती हैं। डॉक्टर शेट्टी ने कहा टॉप एथलीटों के लिए, इंगुइनल हर्निया का प्रभाव काफी गंभीर हो सकता है, जो उनके प्रदर्शन को प्रभावित करता है और इसके सावधानीपूर्वक प्रबंधन की आवश्यकता होती है। मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, बैरिएट्रिक, जीआई एंड रोबोटिक सर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल द्वारका के अध्यक्ष डॉ. संदीप अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, “इंगुइनल हर्निया पुरुषों में अधिक आम है।

यह उम्र के साथ बढ़ सकता है। जिस भी वजह से इंट्रा एब्डोमिनल प्रेशर (Intra Abdominal Pressure) बढ़ता है, उसकी वजह से इंगुइनल हर्निया हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके उपचार के लिए सर्जरी के जरिए रिपेयर की आवश्यकता भी पड़ सकती है। लैप्रोस्कोपी या रोबोटिक्स जैसी तकनीकों द्वारा सर्जिकल उपचार के परिणामस्वरूप बहुत कम दर्द होता है और सर्जरी के बाद जल्दी ठीक होने की संभावना होती है। डॉ. शेट्टी ने कहा कि इंगुइनल हर्निया से पूरी रिकवरी के लिए एक अच्छा रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम भी जरूरी होता है। विशेषकर, एथलीटों के लिए यह बहुत अहम है, जिससे चोट के दोहराव को कम किया सके और खिलाड़ी को अपने चरम प्रदर्शन पर लौटने में दिक्कत न हो।

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