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Periods effects meerabai game: Periods की वजह से मीराबाई के हाथ से फिसला भारत का सपना, जानें माहवारी से जुड़े कुछ तथ्य

Periods effects meerabai game

Periods effects meerabai game : पेरिस ओलंपिक अपने समापन की ओर है और भारत के पास एक भी गोल्ड नहीं है. और तो कोई उम्मीद भी नहीं बची है. 7 अगस्त को भारत को पेरिस ओलिंपिक से एक और मेडल की उम्मीद थी लेकिन यह भी केवल उम्मीद ही बनकर रह गई. भारतीय महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू अपने आखिरी प्रयास में चूक गईं. और भारत के लिए कोई भी मेडल नहीं ला पाई.(Periods effects meerabai game )

8 अगस्त को मीराबाई 30वां जन्मदिन था. मीराबाई के पास जन्मदिन से पहले इतिहास रचने का मौका था, लेकिन 1 किलो वजन कम उठाने के चलते वह मेडल की रेस से बाहर हो गईं. मीराबाई ने कहा कि – उनके मेंस्ट्रुअल साइकिल के तीसरा दिन के चलते उनके लिए अच्छा परफॉर्म करना काफी मुश्किल हो गया.

मेंस्ट्रुअल साइकिल क्या है, इसका एथलीट्स की परफॉर्मेंस पर क्या फर्क पड़ता है…
क्या दवा से साइकिल आगे-पीछे नहीं किया जा सकता…

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सवाल 1: मीराबाई वेटलिफ्टिंग के किस राउंड में हारीं, हारने की वजह?

जवाब: मीराबाई चानू ओलिंपिक के वेटलिफ्टिंग खेल में 49 किलोग्राम वेट कैटेगरी में खेलने उतरी थीं. उन्होंने पहले राउंड यानी स्नैच में 88 किलो वजन उठाया। मीराबाई ने कुल 199 किलोग्राम वजन उठाया. वहीं थाईलैंड की सुरोदचना खांबो ने 200 किलो (88 और 112) वजन उठाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता. इस तरह मीराबाई चौथे स्थान पर रहीं.(Periods effects meerabai game )
मीराबाई ने अपनी परफॉर्मेंस की वजह बताते हुए कहा, ‘आज मेरी क‍िस्मत भी खराब थी और मेरे पीर‍ियड भी चल रहे है. पीर‍ियड का आज मेरा तीसरा दिन था. जब मैं लास्ट ओलिंप‍िक में खेल रही थी तब मेरा पीर‍ियड का दूसरा दिन था.

सवाल 2: मेंस्ट्रुअल साइकिल या पीरियड क्या है, इससे परफॉर्मेंस पर क्या असर पड़ा…

मेंस्ट्रुअल साइकिल या पीरियड महिलाओं के प्रजनन प्रणाली का एक सामान्य और महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सीधे उनकी शारीरिक प्रक्रिया और परफॉर्मेंस पर असर डाल सकता है।

प्रजनन की प्रक्रिया में, महिला के शरीर में मौजूद अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु के मिलन से गर्भधारण होता है। हर महिला के शरीर में जन्म से ही एक निश्चित संख्या में अंडाणु होते हैं। जैसे ही वह 12-14 साल की उम्र में प्यूबर्टी की उम्र तक पहुंचती है, हर महीने एक अंडाणु अंडाशय से निकलकर फैलोपियन ट्यूब में जाता है, जहां निषेचन की संभावना होती है।

यदि निषेचन नहीं होता है, तो गर्भाशय की परत टूटकर रक्तस्राव के रूप में बाहर निकलने लगती है। इस प्रक्रिया को मासिक धर्म या मेंस्ट्रुएशन कहा जाता है। महिलाओं में औसतन 28 दिन का मासिक चक्र होता है, जो 21 से 35 दिनों के बीच हो सकता है। सामान्यतः 4 से 5 दिनों तक रक्तस्राव होता है, जिसमें शुरुआती दिनों में ब्लड फ्लो अधिक होता है।

पीरियड्स के दौरान हार्मोनल बदलाव और शारीरिक असुविधाएं महिलाओं के परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकती हैं। इस अवधि में ऊर्जा स्तर में कमी, दर्द, और अन्य शारीरिक बदलावों के कारण किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि या खेल में प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।

सवाल 3: क्या मेंस्ट्रुअल साइकिल से शारीरिक कमजोरी आती है…

जवाब: मासिक धर्म के दौरान महिला के शरीर में होने वाले चार फेज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बदलता रहता है। इस बदलाव के कारण कई शारीरिक और मानसिक दिक्कतें हो सकती हैं, जैसे मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी, मांसपेशियों में ऐंठन, कमजोरी, खराब नींद, किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, दर्द और स्वभाव में चिड़चिड़ापन। ये समस्याएँ महिलाओं की काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।

एक शोध में पाया गया कि टॉप महिला फुटबॉल खिलाड़ियों में से 87% से अधिक खिलाड़ियों ने मासिक धर्म के दौरान कम ताकत और अधिक थकान महसूस की। 66% से ज्यादा खिलाड़ियों ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान उनके रिएक्शन टाइम और रिकवरी पर असर पड़ा।

शोध से यह भी पता चला कि यदि एक फुटबॉल खिलाड़ी के पूरे करियर को औसतन 21 साल का माना जाए, तो मासिक धर्म के चलते उसे करीब 250 बार अपनी परफॉर्मेंस से समझौता करना पड़ सकता है। फुटबॉल के अलावा अन्य खेलों में भी 74% से ज्यादा महिला एथलीट्स ने मासिक धर्म के दौरान कठिनाइयों का सामना करने की बात कही। कुछ ने कहा कि इससे उनकी स्किल्स पर असर पड़ा, जबकि कुछ ने फिटनेस लेवल और चयन प्रक्रिया में भी समस्याओं का सामना किया।(Periods effects meerabai game )

हालांकि, कुछ रिसर्च यह भी बताती हैं कि मासिक धर्म का प्रभाव हर एथलीट और खेल के लिए अलग-अलग हो सकता है, और कुछ मामलों में मासिक धर्म का प्रदर्शन पर कोई खास असर नहीं पड़ता है।

सवाल 4: पीरियड के दौरान एथलीट्स स्पोर्ट्स इवेंट को कैसे मैनेज करते हैं?

जवाब: कई ट्रैकिंग ऐप्स की मदद से पीरियड्स की तारीख का पहले से अनुमान लगाया जा सकता है, जिससे एथलीट्स अपनी ट्रेनिंग और अन्य योजनाओं को उसी अनुसार प्लान कर सकते हैं। कई एथलीट्स टैंपून या मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करते हैं, जो शारीरिक गतिविधियों के दौरान कम असुविधा प्रदान करते हैं। कुछ एथलीट्स एक्स्ट्रा कम्फर्ट के लिए पैड या विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए पीरियड अंडरवियर पहनते हैं। हालांकि, कभी-कभी पीरियड्स अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि मेनोरेजिया यानी भारी मासिक धर्म होता है, तो एथलीट्स पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। पीरियड्स के अंतिम दिनों में ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, जो आपको सकारात्मक बनाए रखने में मदद करता है। खून की कमी के कारण अत्यधिक थकान महसूस हो सकती है।

कभी-कभी अत्यधिक शारीरिक गतिविधि के कारण एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे कुछ एथलीट्स में मासिक धर्म आना बंद हो जाता है। इस स्थिति को एमेनोरिया कहा जाता है, जो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

सवाल 5: क्या ऐसी दवा खाने का भी शरीर पर कोई असर पड़ता है और क्यों?

जवाब: जी हां, पीरियड्स को आगे बढ़ाने के लिए ली जाने वाली दवाओं का असर शरीर पर पड़ता है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव मानसिक स्थिति पर होता है। जब ये हार्मोन शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे तुरंत शारीरिक साइड-इफेक्ट नहीं दिखा सकते, लेकिन मानसिक रूप से इनका असर जल्दी हो सकता है।

दवा लेने वाली महिला में चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है, या वह अधिक शांत हो सकती है। ये सारे साइड-इफेक्ट्स अस्थायी होते हैं और कुछ समय बाद सामान्य स्थिति में आ जाते हैं। ऐसा नहीं है कि इन हार्मोन्स को लेने के बाद साइड-इफेक्ट्स हमेशा के लिए रहेंगे।

सवाल 6: दुनिया भर की महिला खिलाड़ी इस परिस्थिति से कैसे निपटती हैं?

जवाब: अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित एथलीट नेहा राठी का कहना है कि खिलाड़ियों को पता होता है कि उनके पीरियड्स कब आने वाले हैं, और वे इसे दो तरीकों से मैनेज करती हैं:

पीरियड शुरू होने से पहले: कुछ खिलाड़ी अपने मेंस्ट्रुअल साइकिल को आगे बढ़ाने के लिए हार्मोनल टैबलेट्स का सेवन करती हैं, जिससे साइकिल तीन से चार दिन आगे बढ़ जाए और वे अपने खेल को बिना किसी बाधा के जारी रख सकें। हालांकि, बड़े स्तर पर ज्यादातर खेलों में उन महिलाओं को एंट्री नहीं मिलती जो हॉर्मोनल या कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल करती हैं, क्योंकि ये पिल्स महिलाओं के नेचुरल हॉर्मोनल लेवल को प्रभावित करती हैं और बाहरी सिंथेटिक हॉर्मोन का प्रभाव डालती हैं।

पीरियड्स होने के बाद: अगर पीरियड्स हो जाते हैं, तो खिलाड़ी खुद को एनर्जेटिक और फिट रखने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करती हैं, जैसे:

योगा और मेडिटेशन करना।
ट्रेडमिल पर अधिक मेहनत करना।
स्ट्रेचिंग करके शरीर को फिट रखने की कोशिश करना।
शरीर के निचले हिस्से से संबंधित एक्सरसाइज से बचना।
साथ ही, खिलाड़ी अपनी डाइट में आयरन और कैल्शियम की मात्रा बढ़ाती हैं ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे। इस दौरान, फिटनेस को बनाए रखने के लिए वे क्लू, फिटबिट, फिटआर वुमन जैसे मोबाइल ऐप्स का भी उपयोग करती हैं

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By NI Desk

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