नई दिल्ली। अमन सहरावत (Aman Sehrawat) ने 2024 पेरिस ओलंपिक में कुश्ती में भारत के लिए एकमात्र पदक जीता जब उन्होंने पुरुषों के 57 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता। 21 वर्षीय यह खिलाड़ी 11 साल की उम्र से प्रसिद्ध छत्रसाल अखाड़े में है और उसकी नजरें हमेशा ओलंपिक पदक (Olympic Medals) पर टिकी थीं। छत्रसाल अखाड़े में अमन के कमरे की दीवारों पर ‘ओलंपिक गोल्ड’ और ‘अगर यह आसान होता, तो हर कोई इसे करता’ शब्द लिखे हुए हैं और खेलों में भारत के सबसे कम उम्र के पदक विजेता कांस्य पदक से संतुष्ट नहीं हैं जो वह पहले ही जीत चुके हैं। उन्होंने 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक पर अपनी नजरें जमाई हुई हैं।
उन्होंने शुक्रवार को कहा मैंने प्रशिक्षण शुरू कर दिया है और उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करूंगा जिनमें खेलों में मेरी कमी थी और अब मेरा ध्यान ओलंपिक स्वर्ण पदक पर है। अमन ने पुरुषों के 57 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक (Bronze Medal) मैच में प्यूर्टो रिको के डेरियन क्रूज़ को 13-5 से हराया। इस जीत ने उन्हें यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग श्रेणी में रैंकिंग में वर्ल्ड नंबर 2 पर पहुंचा दिया है। प्रसिद्ध कुश्ती कोच सतपाल सिंह (Satpal Singh) के संरक्षण में ‘छत्रसाल अखाड़े’ से आने वाला यह छठा ओलंपिक पदक था, जिसमें सुशील कुमार ने दो बार सम्मान जीता था और अमन, रवि दहिया, बजरंग पुनिया और योगेश्वर दत्त सभी ने एक-एक पदक जीता था।
अमन ने बताया कि उनके ओलंपिक प्रदर्शन से पहले और बाद में उनके कोच ने उनसे क्या कहा था। अमन ने कहा कोच ने ओलंपिक से पहले मुझसे बात की थी और मुझसे कहा था ‘तुम्हें अपने मुकाबलों पर ध्यान देना चाहिए और अपने प्रतिद्वंद्वी के अनुसार अपनी शैली नहीं बदलनी चाहिए।’ जब मैं लौटा तो उन्होंने मुझसे कहा कि प्रसिद्धि को अपने और मेरे दिमाग पर हावी न होने दें मुझे बिल्कुल वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा मैं पदक जीतने से पहले करता था क्योंकि मुझे और भी आगे जाना है।
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