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happy birthday yuvi: 2011 वर्ल्ड कप जिताने के बाद युवराज की हीरो से विलेन बनने की कहानी

Yuvraj Singh BirthdayImage Source: latestLY

Yuvraj Singh Birthday: 12 दिसंबर, 1981 को जन्मे युवराज सिंह ने भारतीय क्रिकेट टीम को दो वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाई।

2007 में उन्होंने टी20 वर्ल्ड कप में अपने छक्कों की बरसात से इतिहास रच दिया, वहीं 2011 में वनडे वर्ल्ड कप में अपने हरफनमौला प्रदर्शन से टीम इंडिया को विश्व विजेता बनाया।

लेकिन युवराज के करियर में एक ऐसा दौर भी आया जब एक और टी20 वर्ल्ड कप जिताने का मौका उनके सामने था।

इस बार, वे टीम के हीरो बनने के बजाय आलोचनाओं के शिकार हो गए और उन्हें विलेन का तमगा दिया गया। युवराज के इस उतार-चढ़ाव भरे सफर की कहानी जानना न केवल दिलचस्प है, बल्कि प्रेरणादायक भी।

टीम इंडिया 2007 टी20 वर्ल्ड कप में चैंपियन बनी और इस ऐतिहासिक जीत में सबसे बड़ा योगदान युवराज सिंह का रहा। उनके छक्कों की आतिशबाज़ी ने हर फैन का दिल जीत लिया।

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साल 2011 का वर्ल्ड कप…

युवराज सिंह ने एक बार फिर कमाल दिखाया। गेंद और बल्ले से ऐसा प्रदर्शन किया कि टीम इंडिया को 28 साल बाद वर्ल्ड कप का ताज पहनाया।

इस वर्ल्ड कप में युवराज प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के करोड़ों फैंस ने उनके सामने सिर झुका दिया।

लेकिन, इसके 3 साल बाद वही युवराज, जो करोड़ों दिलों के हीरो थे, अचानक से विलेन बन गए।

युवराज सिंह के 43वें जन्मदिन पर आइए जानते हैं उस कहानी को, जो शायद यह महान खिलाड़ी अपनी पूरी जिंदगी कभी भूल नहीं पाएगा। कैसे 2 वर्ल्ड कप जिताने वाला यह नायक अचानक खलनायक बन गया?

सिक्सर किंग से विलेन तक की कहानी

युवराज सिंह, जिन्हें सिक्सर किंग के नाम से जाना जाता है, के नाम 6 गेंदों पर 6 छक्के लगाने और 12 गेंदों में अर्धशतक जमाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है। लेकिन 6 अप्रैल, 2014 की रात उनके करियर की सबसे बुरी रात साबित हुई।

मीरपुर के मैदान पर भारत और श्रीलंका के बीच टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल खेला जा रहा था। दांव पर था दूसरी बार टी20 वर्ल्ड कप जीतने का मौका। लेकिन युवराज सिंह इस बड़े मुकाबले में उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए।

21 गेंदों का संघर्ष

टी20 क्रिकेट में जहां हर गेंद महत्वपूर्ण होती है, वहां युवराज ने 21 गेंदों में सिर्फ 11 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट सिर्फ 52.38 रहा, जो टी20 जैसे फॉर्मेट में बेहद खराब माना जाता है।

11वें ओवर में क्रीज पर आने के बाद से ही युवराज परेशान दिखे। मीरपुर की धीमी पिच पर गेंद उनके बल्ले पर ठीक से नहीं आ रही थी। उन्होंने 9 डॉट गेंदें खेली, जिससे दबाव बढ़ता गया।

इस धीमी पारी के कारण भारत एक बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर पाया और श्रीलंका ने मैच जीतकर पहली बार टी20 वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया।

इस हार के बाद युवराज सिंह को फैंस और आलोचकों की कड़ी नाराजगी का सामना करना पड़ा, और वह इस यादगार टूर्नामेंट में हीरो बनने के बजाय विलेन बन गए।

युवराज सिंह की यह पारी क्रिकेट इतिहास में उनके करियर का एक कड़वा अध्याय बन गई, जिसे शायद वह और उनके फैंस कभी नहीं भुला पाएंगे।

युवराज के घर पर फेंके गए पत्थर

मीरपुर में टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की हार के बाद जैसे ही खबर फैली, नाराज भारतीय फैंस का गुस्सा युवराज सिंह पर फूट पड़ा।

उनके चंडीगढ़ स्थित घर पर प्रदर्शनकारियों ने घेराबंदी कर दी और पत्थर तक फेंके गए।

यह घटना सिर्फ एक क्रिकेट मैच की हार नहीं थी, बल्कि युवराज सिंह के जीवन के सबसे मुश्किल समय की शुरुआत थी।(Yuvraj Singh Birthday)

युवराज ने उठाई हार की जिम्मेदारी

हार के बाद युवराज ने खुद अपनी खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली। उन्होंने स्वीकार किया कि वह उस दिन बेहद खराब खेले।

युवराज ने कहा, मैंने एक-दो ओवर में कई डॉट गेंदें खेलीं। मलिंगा की गेंदबाजी शानदार थी, और एमएस धोनी और विराट कोहली भी उन्हें ठीक से नहीं खेल पा रहे थे।

दुर्भाग्य से, वह मुकाबला टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल था। अगर यह कोई और मैच होता, तो इतना बड़ा मुद्दा नहीं बनता।

फैंस और मीडिया की नाराजगी

इस हार के बाद हालात इतने बिगड़ गए कि कई लोगों ने युवराज से बात करना बंद कर दिया। एयरपोर्ट पर मीडिया ने उन पर चिल्लाया, और घर पर फेंके गए पत्थरों ने उनके लिए हालात और भी कठिन बना दिए।

युवराज ने कहा, “मुझे ऐसा महसूस कराया गया जैसे मैं कोई अपराधी हूं और मैंने किसी के सिर पर गोली मार दी हो।”

युवराज का संघर्ष और भावुक पल(Yuvraj Singh Birthday) 

युवी ने उस दिन घर पहुंचकर अपने बैट को देखा, जिससे उन्होंने 6 छक्के लगाए थे।

अपनी इंडिया कैप को देखते हुए सोचने लगे कि उनका करियर शायद खत्म हो गया है। यह उनके लिए आत्मविश्लेषण का क्षण था, जो उन्हें भीतर तक झकझोर गया।(Yuvraj Singh Birthday)

युवराज सिंह की यह कहानी सिर्फ एक हार की नहीं, बल्कि एक ऐसे खिलाड़ी के संघर्ष की है जिसने अपने जीवन के सबसे बुरे दौर का सामना किया। यह घटना दिखाती है कि सफलता के शिखर पर पहुंचने वाले खिलाड़ी भी कभी-कभी असफलता के बोझ तले कितने अकेले पड़ जाते हैं।

युवराज ने की कमाल वापसी

मीरपुर की हार और उस मुश्किल दौर के बावजूद हार मानने से इनकार कर दिया।

आलोचनाओं और नाराजगी का सामना करने के बाद भी यह बाएं हाथ का बल्लेबाज मैदान में दोबारा लौटा और 2017 तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलता रहा।

IPL में चमका युवराज का जलवा

2014 में, जब युवराज सिंह पर यह आरोप लगाया गया कि उनकी वजह से टीम इंडिया टी20 वर्ल्ड कप हार गई, उसी साल आईपीएल में उन्होंने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। आरसीबी ने उन्हें 14 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड कीमत पर खरीदा।

इसके बाद, 2015 में दिल्ली डेयरडेविल्स ने युवराज सिंह को 16 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड कीमत पर टीम में शामिल किया, जिससे वह उस सीजन के सबसे महंगे भारतीय क्रिकेटर बने।

युवराज की कहानी का सबक(Yuvraj Singh Birthday) 

युवराज सिंह की जिंदगी एक सीख देती है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर आप मेहनत और संघर्ष करते रहें, तो वक्त बदलते देर नहीं लगती।

उनकी कहानी सिर्फ एक क्रिकेटर की नहीं, बल्कि एक योद्धा की है, जिसने बार-बार साबित किया कि हीरो से विलेन बनना कोई स्थायी स्थिति नहीं है।

मेहनत और आत्मविश्वास से इंसान अपने हालात बदल सकता है और फिर से शिखर पर पहुंच सकता है।

By NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

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