FIFA World Cup: दुनिया के सबसे बड़े और लोकप्रिय खेल टूर्नामेंट, फुटबॉल वर्ल्ड कप का हर प्रशंसक बेसब्री से इंतजार करता है।
2022 में कतर ने इस महाकुंभ की शानदार मेजबानी की थी, और अब 2026 में अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको मिलकर इस टूर्नामेंट का आयोजन करेंगे।
लेकिन अरब जगत में फुटबॉल की चर्चा एक बार फिर से गर्म है। सऊदी अरब, जो फुटबॉल की दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, 2034 FIFA वर्ल्ड कप की मेजबानी करेगा।
2030 की मेजबानी से चूकने के बाद, सऊदी ने 2034 के लिए अपने हक को पक्का किया है। यह टूर्नामेंट सऊदी को ग्लोबल फुटबॉल नक्शे पर और भी मजबूत पहचान दिलाएगा।
फुटबॉल प्रेमियों के लिए यह खबर बेहद खास है, क्योंकि अरब दुनिया में यह दूसरी बार होगा जब फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन किया जाएगा।
सऊदी अरब अब इस चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार है और दुनिया भर के प्रशंसकों को एक यादगार टूर्नामेंट देने की उम्मीद कर रहा है।
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अकेला दावेदार सऊदी अरब
फुटबॉल की सबसे बड़ी संस्था फीफा (FIFA) 11 दिसंबर को 2034 वर्ल्ड कप के मेजबान का आधिकारिक ऐलान करेगी।
हालांकि, यह घोषणा अब केवल औपचारिकता बनकर रह गई है, क्योंकि टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए सऊदी अरब एकमात्र दावेदार है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुरुआती दौर में इस रेस में ऑस्ट्रेलिया भी शामिल था। लेकिन आखिरी समय में ऑस्ट्रेलिया ने अपनी बोली वापस ले ली, जिसके बाद सऊदी अरब अकेला देश बचा जो मेजबानी की दावेदारी कर रहा था।
सऊदी अरब की इस मेजबानी से यह न केवल फुटबॉल जगत में उसकी बढ़ती ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह देश को वैश्विक खेल आयोजन में एक महत्वपूर्ण स्थान पर भी स्थापित करता है।
अब सभी की नजरें फीफा के औपचारिक ऐलान पर हैं, जो इस ऐतिहासिक मौके को आधिकारिक रूप से मान्यता देगा।
सऊदी अरब की FIFA वर्ल्ड कप मेजबानी
दुनिया के सबसे मशहूर खेल टूर्नामेंट, FIFA वर्ल्ड कप की मेजबानी पाने के लिए सऊदी अरब ने भारी निवेश और कड़ी मेहनत की।
सऊदी अरब का शाही परिवार इस प्रतिष्ठित आयोजन को अपने देश में लाने के लिए बेहद उत्सुक था, और इसके पीछे मुख्य प्रेरणा था उसका पड़ोसी देश कतर।
2022 में, कतर ने अरब जगत में पहली बार FIFA वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी। तमाम विवादों और चुनौतियों के बावजूद, कतर ने इस आयोजन को जबरदस्त सफलता में बदल दिया।
इसकी शानदार कामयाबी ने सऊदी अरब को प्रेरित किया कि वह भी इस वैश्विक टूर्नामेंट की मेजबानी करे और अरब क्षेत्र में फुटबॉल की धूम को और आगे बढ़ाए।
अब सऊदी अरब 2034 वर्ल्ड कप के लिए अकेला दावेदार बनकर उभरा है, और इस ऐतिहासिक आयोजन को लेकर देश भर में उत्साह चरम पर है।
यह कदम न केवल सऊदी को खेल के वैश्विक मंच पर मजबूत करेगा बल्कि अरब क्षेत्र को भी फुटबॉल की दुनिया में और ऊंचा स्थान दिलाएगा।
फुटबॉल के जुनून में सऊदी अरब का दांव
2034 FIFA वर्ल्ड कप की मेजबानी पाने के लिए सऊदी अरब ने पिछले कुछ सालों में फुटबॉल पर भारी निवेश किया है।
इसमें सबसे बड़ा नाम क्रिस्टियानो रोनाल्डो का है, जिन्हें 200 मिलियन डॉलर सालाना के अनुबंध पर सऊदी प्रो लीग में लाया गया।
रोनाल्डो की इस डील में न केवल उनका वेतन शामिल था, बल्कि सऊदी अरब की वर्ल्ड कप दावेदारी को प्रमोट करने की जिम्मेदारी भी शामिल थी। रोनाल्डो ने बीते दो सालों में इस भूमिका को बखूबी निभाया।
उनके बाद नेमार जूनियर, करीम बेंजेमा, सादियो माने जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी सऊदी लीग का हिस्सा बने, जिससे इस लीग की लोकप्रियता और प्रतिष्ठा में भारी इजाफा हुआ।
इन सभी निवेशों का खर्च सऊदी अरब के सरकारी खजाने, पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF), से किया गया।
PIF ने न केवल खिलाड़ियों पर बल्कि इंग्लैंड के प्रतिष्ठित फुटबॉल क्लब न्यूकासल यूनाइटेड को 3 बिलियन डॉलर में खरीदकर भी सऊदी की फुटबॉल महत्वाकांक्षाओं को साफ कर दिया।
हालांकि, सऊदी 2030 वर्ल्ड कप की मेजबानी का सपना पूरा नहीं कर सका, लेकिन 2034 में यह ख्वाब हकीकत बनने जा रहा है।
यह निवेश न केवल मेजबानी हासिल करने का साधन बना, बल्कि फुटबॉल की दुनिया में सऊदी अरब की बड़ी पहचान स्थापित करने का भी जरिया बना।