बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यू के नेता नीतीश कुमार विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। उनको पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने इसका सुझाव दिया था। ममता ने जयप्रकाश नारायण की तरह नीतीश को विपक्षी गठबंधन बनाने और उसे आगे बढ़ाने को कहा। ममता के इस सुझाव के बाद नीतीश काफी गंभीरता से इस पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने पटना में मीडिया से कहा कि अभी कुछ पार्टियां कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बिजी हैं। चुनाव खत्म होने के बाद इस बारे में बात करके सहमति बनाई जाएगी।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस पार्टी के साथ एक बार फिर नीतीश कुमार का सद्भाव बना है। मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ साथ राहुल गांधी भी उनके असर में हैं और जातीय जनगणना व सामाजिक न्याय के उनके एजेंडे पर काम कर रहे हैं। लेकिन जहां तक विपक्षी पार्टियों का गठबंधन बनाने की बात है तो कांग्रेस कमान अपने हाथ में रखना चाहती है। वह इस गठबंधन का नेतृत्व भी करना चाहती है। तभी कांग्रेस के नेता कर्नाटक चुनाव के बाद दिल्ली में विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति और समाजवादी पार्टी को छोड़ कर बाकी गैर भाजपा दलों की इस पर लगभग सहमति है।
तभी सवाल है कि जब कांग्रेस दिल्ली में बैठक बुलाने की तैयारी में है तो वह कैसे बिहार में इसी तरह की बैठक के लिए सहमत होगी? बिहार की बैठक को लेकर समस्या यह है कि उसमें सोनिया या राहुल गांधी नहीं जाएंगे। कांग्रेस के प्रतिनिधि के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे हिस्सा लेंगे। दूसरी मुश्किल यह है कि वहां बैठक का नेतृत्व नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव करेंगे। बिहार में बैठक होगी तो प्रादेशिक पार्टियों और उनके नेताओं को ज्यादा महत्व रहेगा और कांग्रेस उन्हीं की तरह एक अन्य पार्टी की तरह उसमें शामिल होगी, जबकि कांग्रेस इस गठबंधन में अपना विशेष महत्व मानती है।
इसके अलावा एक और खास बात यह है कि कर्नाटक चुनाव के बाद विपक्षी राजनीति का समीकरण बदल भी सकता है। अभी तक की स्थिति के मुताबिक कांग्रेस मजबूत है और चुनाव जीत सकती है। अगर कांग्रेस कर्नाटक जैसे बड़े राज्य में जीतती है तो उसका असर देश की राजनीति पर होगा। वह इस साल के अंत में होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव में ज्यादा आक्रामक राजनीति करेगी। ध्यान रहे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव कर्नाटक के चुनाव में जेडीएस की मदद कर रहे हैं यानी कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं। इसका भी असर आगे की विपक्षी तैयारियों पर पड़ेगा। सो, नीतीश अगर चाहते हैं कि विपक्षी पार्टियों के गठबंधन की बैठक सफल हो तो उनको कांग्रेस के साथ सहमति बनानी होगी।