कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में कार्यसमिति यानी सीडब्लुसी का चुनाव नहीं होगा। हालांकि अभी तक आधिकारिक रूप से ऐसा नहीं कहा गया है कि चुनाव नहीं होगा लेकिन जानकार नेताओं का कहना है कि इसक फैसला हो चुका है कि चुनाव नहीं होगा। सिर्फ घोषणा बाकी है, जो अधिवेशन के पहले दिन यानी 24 फरवरी को हो जाएगी। पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से इतना बताया गया है कि 24 फरवरी को रायपुर में पार्टी की स्टीयरिंग कमेटी की बैठक होगी। ध्यान रहे इस स्टीयरिंग कमेटी में पुरानी सीडब्लुसी के सारे सदस्य हैं और उनके अलावा पार्टी के पदाधिकारी हैं। स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में तय किया जाएगा कि सीडब्लुसी के चुनाव कराए जाएं या नहीं।
सीडब्लुसी के चुनाव कराने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि चुनाव लड़ने वाला कोई नहीं है। चुनाव का मजा तो तभी होता है, जब कोई लड़े लेकिन कांग्रेस में अब कोई लड़ने वाला नहीं बचा। जो लड़ सकते थे वे या तो पार्टी से बाहर हो गए हैं या उनको मनमाफिक पद दे दिया गया है। इसलिए पार्टी में जो हैं वे आलाकमान के कृपापात्र ही हैं, जिनको उनकी हैसियत के हिसाब से पद दे दिया जाएगा। याद करें दो साल पहले कैसे कांग्रेस में एक जी-23 बना था, जिसने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को चुनौती दी थी और पार्टी के हर पद पर चुनाव कराने की मांग की थी। लेकिन अब यह जी-23 कहीं नहीं है।
कांग्रेस में 23 नेताओं का जो गुट बना था उसके नेता सीडब्लुसी का चुनाव लड़ सकते थे। लेकिन उनके अघोषित प्रमुख गुलाम नबी आजाद पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। दूसरे सबसे मुखर सदस्य कपिल सिब्बल भी पार्टी छोड़ चुके हैं और समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने हैं। इस समूह के एकमात्र जन समर्थन वाले नेता भूपेंदर सिंह हुड्डा थे, जिनको हरियाणा की कमान मिल गई है। वहां उनकी पसंद का प्रदेश अध्यक्ष बना कर एक तरह से अगले चुनाव का चेहरा बना दिया गया है। उनके विरोधी या तो राज्य की राजनीति से बाहर हैं या हाशिए पर डाल दिए गए हैं।
एक अन्य मुखर सदस्य शशि थरूर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ कर आजमा चुके हैं और इसलिए उन्होंने ऐलान कर दिया है कि अगर सीडब्लुसी का चुनाव होता है तो वे नहीं लड़ेंगे। जी-23 के मुखर और बड़े नेताओं में एक आनंद शर्मा हैं, जो अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के बाद से शांत पड़े हैं। उनको पता है कि वे अपनी प्रासंगिकता गंवा चुके हैं। इस ग्रुप के एक अन्य सदस्य राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह को बिहार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया है। ले देकर मनीष तिवारी अकेले नेता हैं, जिनकी थोड़ी बहुत हैसियत है सबको पता है कि वे इन दिनों आम आदमी पार्टी के साथ नजदीकी बढ़ाने में लगे हैं। सो, कांग्रेस में कोई बड़ा नेता बचा ही नहीं, जो सीडब्लुसी का चुनाव लड़े।