राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बना दिया गया है। राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और उससे पहले पार्टी के इतने कद्दावर नेता को राज्य की राजनीति से हटा कर असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद राज्य में भाजपा की राजनीति को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। गौरतलब है कि कटारिया दक्षिणी राजस्थान के मजबूत नेता माने जाते हैं और उस क्षेत्र की कम से कम 25 सीटों पर उनका बड़ा असर है। उदयपुर के क्षेत्र में में उनका ऐसा दबदबा है कि वहां की आठ में से छह सीटें पिछली बार भी भाजपा ने जीती हैं।
तभी सवाल है कि उनको राज्यपाल बनाने का भाजपा को क्या फायदा होगा? उनकी उम्र 78 साल हो गई है इसलिए इस बार उनको चुनाव नहीं लड़ना था। लेकिन चूंकि पार्टी को उनकी जरूरत है इसलिए उनको राज्यपाल बना कर उनके समर्थकों को मैसेज दिया गया है। उनका खुद का भी मानना है कि उनके राज्य की राजनीति से हटने से पार्टी कमजोर नहीं होगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अब नेता विपक्ष कौन बनेगा? राज्य में विधानसभा चुनाव में आठ-नौ महीने रह गए हैं और इतने समय के लिए किसको नेता विपक्ष बनाया जाएगा? यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि जिसको भी नेता विपक्ष बनाया जाएगा, उसका कद बढ़ेगा और अगले चुनाव में उसको स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाएगा। तभी वसुंधरा राजे के नाम की चर्चा तेज हो गई है। अगर वे नहीं बनती हैं और राजेंद्र सिंह राठौड़ को बनाया जाता है तब भी वसुंधरा राजे की ताकत बढ़ने का मैसेज जाएगा क्योंकि राठौड़ उनके करीबी नेता हैं।