लुइजिन्हो फ्लेरियो ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। गोवा में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले तृणमूल कांग्रेस ने उनको राज्यसभा में भेजा था। तब प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन का काम देख रहे थे और उनको लग रहा था कि गोवा में पार्टी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। लेकिन चुनाव से पहले ही तृणमूल का खेल बिगड़ने लगा, जब फ्लेरियो ने विधानसभा का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उसी समय से कहा जा रहा था कि ममता बनर्जी उनसे नाराज हैं और उन पर राज्यसभा की सदस्यता छोड़ने का दबाव है। हालांकि फ्लेरियो ने इस्तीफा देने के बाद इस पर कुछ नहीं कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है या पार्टी की ओर से कहा गया है। उन्होंने राज्यसभा में भेजने के लिए ममता बनर्जी का आभार जताया।
उनके इस्तीफे के बाद अब बड़ा सवाल है कि ममता बनर्जी किसको राज्यसभा में भेजेंगी। उन्होंने जिस सीट से इस्तीफा दिया है उसका कार्यकाल 2026 तक है। यानी अब भी तीन साल का कार्यकाल बचा हुआ है। फ्लेरियो के इस्तीफे के बाद तृणमूल कांग्रेस में जो पहला सवाल उठा है वह ये है कि किसी बाहरी नेता को राज्यसभा भेजा जाए या पश्चिम बंगाल के ही किसी नेता को उच्च सदन में भेजा जाए। ध्यान रहे ममता बनर्जी की पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन गया है क्योंकि अभी सिर्फ तीन राज्यों में ही उनकी पार्टी को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा हासिल है। इसलिए उनको कुछ और राज्यों में पार्टी का विस्तार करना होगा। इसलिए एक सोच किसी दूसरे राज्य के नेता को भेजने की है।
लेकिन दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव के लिए ममता बनर्जी बंगाल पर ही पूरा फोकस कर रही हैं इसलिए वे अगले साल के चुनाव तक दूसरे राज्य में नहीं देखेंगी। अगर किसी बाहरी नेता को वे राज्यसभा भेजती हैं तो किरणमय नंदा का नाम संभावित है। नंदा पश्चिम बंगाल के ही नेता हैं लेकिन समाजवादी पार्टी में हैं और पिछले दिनों उन्होंने अखिलेश यादव की ममता बनर्जी से मुलाकात कराई थी, जिसके बाद दोनों ने साझा मोर्चा बनाने का ऐलान किया।