बिहार में 23 जून को सभी विपक्षी पार्टियों की मीटिंग में क्या होगा? क्या भाजपा के खिलाफ विपक्ष के गठबंधन की घोषणा हो जाएगी? इसकी संभावना कम है क्योंकि ज्यादातर पार्टियां मान रही हैं कि अभी उसका समय नहीं आया है। इसी तरह सीटों पर बातचीत भी अभी नहीं होगी। वह चर्चा राज्यवार होगी। यह मोटे तौर पर ऑप्टिक्स के लिए यानी दिखावे के लिए बैठक हो रही है, जिसके सबसे बड़े लाभार्थी नीतीश कुमार हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि उनको और शरद पवार को विपक्षी गठबंधन को औपचारिक रूप देने और पार्टियों के बीच सीटों का तालमेल बनवाने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। बताया जा रहा है कि गठबंधन की रूपरेखा को लेकर चर्चा हो सकती है। कांग्रेस दबाव डालेगी कि यूपीए के बैनर तले ही सारी पार्टियां चुनाव लड़ें। दूसरी ओर प्रादेशिक पार्टियां चाहेंगी कि नया गठबंधन बने।
इसका कारण यह है कि ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल और के चंद्रशेखर राव कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के बैनर तले चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। इसके अलावा लेफ्ट पार्टियां भी यूपीए का हिस्सा नहीं बनेंगी। इसलिए कोई नया गठबंधन बन सकता है। इस बारे में पटना में बातचीत होगी। इसके अलावा भाजपा के खिलाफ चुनावी एजेंडा तय करने और न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने के बारे में बात होगी और कहा जा रहा है कि इसके लिए एक कमेटी अलग बनाई जा सकती है। सीटों पर बात करने की एक कमेटी अलग हो सकती है। इन कमेटियों की बैठक अलग अलग होती रहेगी और उनकी सिफारिशों पर विचार के लिए सभी पार्टियों की एक नियमित बैठक हर महीने या दो महीने पर हो सकती है। इस बारे में फैसला होगा कि बिहार जैसी ग्रैंड बैठक अलग अलग राज्यों में हर महीने या दो महीने पर हो। अगली बैठक किसी कांग्रेस शासित राज्य में हो सकती है।