राजनीति से इतर सरकार के कामकाज में और उसमें भी खासतौर से संसदीय कामकाज में किसी तरह के कंफ्यूजन नहीं रहता है। परंतु केंद्रीय सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के एक बयान से कंफ्यूजन बना है। उन्होंने कहा है कि डाटा प्रोटेक्शन बिल के मसौदे को संसद की स्थायी समिति ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा कि संसदीय समिति ने ‘बिग थम्सअप’ दिया है यानी बड़ा समर्थन दिया है। उनके इस बयान के तुरंत बाद संसदीय समिति के दो सदस्यों ने कहा कि अभी तक समिति के सामने यह बिल ही नहीं आया है तो मंजूरी कैसे दे दी?
तभी यह कंफ्यूजन बना है कि बिल की क्या स्थिति है? असल में सरकार का बनाया एक डाटा प्रोटेक्शन बिल वापस हो चुका है। उसके बाद डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 का मसौदा तैयार हुआ, जिस पर संसदीय समिति को विचार करना है। आमतौर पर कोई भी बिल पहले संसद में पेश होता है और वहां से उसे संबंधित विषय की स्थायी समिति के पास भेजा जाता है। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और तृणणूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य हैं। दोनों ने कहा है कि अभी तक इस बिल का मसौदा औपचारिक रूप से कमेटी के सामने नहीं भेजा गया है। इस बिल के कुछ पहलुओं पर चर्चा जरूर हुई है लेकिन औपचारिक रूप से बिल स्थायी समिति को भेजे जाने के बाद ही इस पर कुछ फैसला हो सकता है।