अगर असम में कांग्रेस पार्टी की ओर से आयोजित विपक्षी पार्टियों की बैठक कोई संकेत मानें तो यह लगभग तय हो रहा है कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी के गठबंधन वाले मोर्चे में शामिल होगी। पिछले कुछ दिनों से इस बात के संकेत मिल रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोलकाता दौरे के बाद भी यह संकेत मिला कि ममता बनर्जी उस विपक्षी गठबंधन में शामिल होने को तैयार हैं, जिसमें कांग्रेस रहेगी। दोनों में तालमेल का फॉर्मूला क्या होगा और सीटों का बंटवारा कैसे होगा, यह अगले दौर की जब वार्ता शुरू होगी तब उसमें तय होगा।
बहरहाल, गुरुवार को कांग्रेस ने असम में विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें विपक्ष की 11 पार्टियां शामिल हुईं। इनमें ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी थी। ध्यान रहे असम की नेता और महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सुष्मिता देब इस समय तृणमूल में हैं और असम की कमान संभाल रही हैं। सो, ममता की पार्टी का कांग्रेस की बैठक में शामिल होना एक बड़ा घटनाक्रम है। इस बैठक में तीन कम्युनिस्ट पार्टियों- सीपीआई, सीपीएम और सीपीआईएमल के नेता भी शामिल हुए और उनके साथ तृणमूल के नेता बैठक में रहे। यह भी एक बड़ा घटनाक्रम है। आने वाले दिनों में यह विपक्षी एकता के प्रयासों के लिए बहुत अहम साबित होगा। कांग्रेस ने बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ को इसमें नहीं बुलाया था। असल में कांग्रेस को लग रहा है कि अजमल की पार्टी के साथ रहने से भाजपा को ध्रुवीकरण का मौका मिलता है। सो, भाजपा का ध्रुवीकरण रोकने के लिए कांग्रेस ने अजमल की पार्टी से दूरी बनाई है।