इस साल हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सीपीएम ने मिल कर चुनाव लड़ा था। हालांकि इसका कोई फायदा नहीं हुआ। कांग्रेस को जरूर तीन सीटें मिल गईं, लेकिन सीपीएम की सीटें 16 से घट कर 11 रह गईं। दोनों के साथ आने से वोट प्रतिशत में भी कोई फर्क नहीं आया। इसके बावजूद बताया जा रहा है कि कांग्रेस और लेफ्ट का तालमेल जारी रहेगा। जानकार सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों के बीच अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव साथ मिल कर लड़ने की बात हो रही है। हालांकि त्रिपुरा में सिर्फ दो ही लोकसभा सीटें हैं और दोनों पर भाजपा जीती है। इसके बावजूद अगर दोनों पार्टियों के बीच तालमेल होता है तो यह बड़ी बात होगी।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस इस बात के लिए तैयार हो सकती है कि दोनों लोकसभा सीटों पर सीपीएम लड़े क्योंकि कांग्रेस के पास राज्य में बहुत मजबूत आधार नहीं है। जानकार सूत्रों के मुताबिक त्रिपुरा में तालमेल का मतलब होगा कि पश्चिम बंगाल और समूचे पूर्वोत्तर में दोनों पार्टियां साथ रहेंगी। तभी यह देखना दिलचस्प होगा कि पश्चिम बंगाल में विपक्षी एकता का क्या फॉर्मूला बनता है। अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फॉर्मूला बनता है यानी हर सीट पर विपक्ष का एक उम्मीदवार उतारने की बात तय होती है तो कांग्रेस और लेफ्ट के साथ ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का गठबंधन बनवाना होगा। कांग्रेस और लेफ्ट या कांग्रेस और तृणमूल का गठबंधन को आसान से बन जाएगा लेकिन तृणमूल और लेफ्ट के बीच तालमेल बनाना आसान नहीं होगा।