इस साल राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश छोड़ कर शायद ही किसी राज्य में मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करके लड़ेगी। संभव है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का नाम आगे किया जाए या किसी तरह से उनके नाम का संदेश बनवाया जाए। लेकिन बाकी राज्यों में सामूहिक नेतृत्व में ही कांग्रेस लड़ेगी। कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि इस बार भाजपा भी किसी राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा पेश करके लड़ने नहीं जा रही है। हर जगह पार्टी नेताओं के लेकर खास में बहुत टकराव है और किसी एक चेहरे पर लड़ने का नुकसान पार्टी को हो सकता है। इसलिए संभव है कि इस बार प्रदेश के सामूहिक नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भाजपा राज्यों का चुनाव लड़े। इस वजह भाजपा यह मुद्दा नहीं बना पाएगी कि कांग्रेस का दूल्हा कौन है।
बहरहाल, आमतौर पर कांग्रेस चेहरा पेश करके चुनाव लड़ती है। एक तरह से उसी ने यह परंपरा भी शुरू की। लेकिन इस बार आपसी खींचतान की वजह से या कुछ चेहरों को लेकर एंटी इन्कंबैंसी की आशंका में पार्टी नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही राज्यों में ही लड़ने की तैयारी कर रही है। राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनाव जिताने वाला चेहरा है लेकिन कई कारणों से पार्टी उनका नाम घोषित नहीं कर रही है। छत्तीसगढ़ में 15 साल मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह पहले ही पार्टी आलाकमान की पसंद से बाहर बताए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं पर पिछली बार उनके रहते ही पार्टी 15 साल बाद हारी थी। इसके अलावा पार्टी आलाकमान से उनके संबंधों को लेकर भी तनाव की खबरे हैं। कर्नाटक में बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री हैं और लिंगायत हैं लेकिन उनका चेहरा घोषित करने पर कई नेताओं और समुदायों के नाराज होने का खतरा है। सो, ऐसा लग नहीं रहा है कि पार्टी कहीं भी चेहरा घोषित करेगी।