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जो चेन्नई में जुटे क्या वे साथ हैं?

डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के 70वें जन्मदिन पर देश की कई विपक्षी पार्टियों के नेता चेन्नई में जुटे। इस जलसे में जुटे सभी नेताओं ने विपक्षी एकता की बात की। विपक्ष की एकजुटता में सबसे बड़ी बाधा नेतृत्व के मसले पर थी, जिसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने काफी हद तक स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी नहीं कहा है कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा। हालांकि इससे पहले मध्य प्रदेश के अध्यक्ष कमलनाथ कह चुके हैं राहुल गांधी नेतृत्व करेंगे विपक्ष का। पिछले दिनों पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने भी कहा था कि कांग्रेस ही गठबंधन का नेतृत्व करेगी।

कमलनाथ और रमेश के कहने से ज्यादा अहम मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान है। ध्यान रहे उन्होंने नगालैंड में भी विपक्षी एकता की बात कही थी और चेन्नई में उन्होंने साफ किया कि कांग्रेस विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने की जिद नहीं कर रही है। यह बहुत बड़ी बात थी। स्टालिन के जन्मदिन के मौके पर हुए आयोजन की दूसरी बड़ी बात थी समाजवादी पार्टी का कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ मंच साझा करना। सपा और कांग्रेस के बीच पिछले कुछ समय से तनाव है। 2017 का विधानसभा चुनाव साथ लड़ने के बाद से दोनों पार्टियां अलग अलग हैं। 2019 में सपा ने बसपा के साथ मिल कर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और कांग्रेस को अलग रखा था।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चेन्नई में विपक्ष के आयोजन में शामिल हुए इसका विपक्षी एकता के लिए बड़ा महत्व है। जानकार सूत्रों का कहना है कि वे तीसरे मोर्चे की बजाय दूसरे मोर्चे में शामिल होने पर राजी हो गए हैं। दूसरा मोर्चा यानी वह विपक्षी गठबंधन, जिसमें कांग्रेस हो। अब तक माना जा रहा था कि तृणमूल कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति और आम आदमी पार्टी की तरह समाजवादी पार्टी भी तीसरा मोर्चा बनाने के पक्ष में है। लेकिन अब ऐसा नहीं लग रहा है। क्योंकि तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश करने वाली पार्टियों को स्टालिन के जन्मदिन के आयोजन में नहीं बुलाय गया था। तमाम सद्भाव के बावजूद के चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को न्योता नहीं दिया गया था, जबकि अखिलेश को न्योता दिया गया और वे शामिल भी हुए।

इसके साथ ही चेन्नई में तीसरे मोर्चे की बात करने वालों की आलोचना की गई। कांग्रेस की बात दोहराते हुए स्टालिन ने कहा कि तीसरा मोर्चा बना तो उससे भाजपा को फायदा होगा। यह केसीआर, ममता और केजरीवाल तीनों को साझा विपक्ष की ओर से मैसेज था। स्टालिन के जन्मदिन के कार्यक्रम से कांग्रेस को साथ लेकर बनने वाले विपक्षी गठबंधन की रूप रेखा स्पष्ट हो गई है। कांग्रेस के अलावा उसकी सहयोगी डीएमके और राजद इसमें शामिल हैं। फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस भी इसमें है और एक तरह से अखिलेश यादव ने भी इसमें शामिल होने का संकेत दे दिया है। अगर इन सभी क्षेत्रीय पार्टियों के नेता प्रयास करें और खड़गे की बात को सामने रख कर केसीआर, ममता और केजरीवाल से बात करें तो विपक्ष का बड़ा गठबंधन भी बन सकता है।

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