कर्नाटक में शनिवार को 28 मंत्रियों की शपथ होनी थी। एक सूची भी बन गई थी, जिसमें सिद्धरमैया और शिवकुमार दोनों के समर्थकों के नाम शामिल थे। मीडिया में खबर भी आ गई थी कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के साथ 28 मंत्रियों की शपथ होगी। लेकिन बाद में शपथ सिर्फ आठ मंत्रियों की हुई। बताया जा रहा है कि गुरुवार को बेंगलुरू में विधायक दल के नेता का चुनाव होने और राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करने के अगले दिन शुक्रवार को जब सिद्धरमैया और शिवकुमार दिल्ली पहुंचे तो मंत्रियों की सूची पर कई घंटे माथापच्ची हुई। कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को आधी रात के बाद तक कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी रणदीप सुरजेवाला के साथ विचार चलता रहा लेकिन सूची पर सहमति नहीं बनी।
सिद्धरमैया को शिवकुमार की सूची के कुछ नामों पर आपत्ति थी तो शिवकुमार ने भी सिद्धरमैया की सूची पर ऐतराज किया था। विवाद इतना बढ़ गया कि कांग्रेस आलाकमान ने तय किया कि सिर्फ ऐसे वरिष्ठ लोगों को शपथ दिलाई जाए, जिनके नाम पर विवाद नहीं है। हालांकि उसमें भी एचके पाटिल और जमीर अहमद खान के नाम पर आपत्ति थी। फिर भी आठ कम विवादित नाम चुन कर शपथ कराने का फैसला किया। दोनों नेताओं की खींचतान में बीके हरिप्रसाद और दिनेश गुंडूराव जैसे बड़े नेता का नाम कट गया। मंत्री पद के लिए इन दोनों के नाम पर भी चर्चा हुई थी। आठ में सबसे ज्यादा तीन दलित मंत्री बनाने का फैसला मल्लिकार्जुन खड़गे की वजह से हुआ। इसके अलावा एक ओबीसी, एक वोक्कालिगा, एक लिंगायत, एक रेड्डी, एक मुस्लिम और एक ईसाई मंत्री बनाने का फैसला हुआ।