एकनाथ शिंदे के गुट को चुनाव आयोग ने असली शिव सेना मान लिया है और उसको नाम और तीन धनुष चुनाव चिन्ह भी आवंटित कर दिया है। तभी अब सवाल है कि दादर में स्थित शिव सेना के मुख्यालय का क्या होगा? शिव सेना के पार्टी फंड का क्या होगा? पार्टी के जो तमाम अनुषंगी संगठन उनके अपने अपने नेता हैं और अलग अलग क्षेत्रों में असर है, उनका क्या होगा? क्या शिंदे गुट अब इन सारी चीजों पर दावा करेगा? ध्यान रहे पार्टी में टूट होने के बाद भी शिंदे ने जब अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बनाई तब भी उन्होंने उद्धव ठाकरे ही अध्यक्ष रहने दिया था और इस वजह से शिंदे गुट ने न पार्टी मुख्यालय पर दावा किया और न पार्टी फंड के बारे में कोई बात कही। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं।
पहले शिंदे गुट की ओर से कहा गया था कि वह शिव सेना भवन पर दाव नहीं करेगी। जब शिंदे गुट को बालासाहबयांची शिव सेना का नाम मिला और अलग चुनाव चिन्ह मिला तब उसने अलग पार्टी मुख्यालय बनाने की घोषणा की। लेकिन अब जबकि चुनाव आयोग ने उसको असली शिव सेना मान लिया है कि पार्टी मुख्यालय और पार्टी फंड पर उसका स्वाभाविक दावा बनता है। अगर शिंदे गुट के समर्थक पार्टी मुख्यालय पर दावा करते हैं तो टकराव बढ़ सकता है। इस मामले में भाजपा और शिंदे गुट को बहुत सोच समझ कर पहल करनी होगी क्योंकि अगर पार्टी मुख्यालय में से उद्धव ठाकरे को हटाया गया तो उनके प्रति ज्यादा सहानुभूति होगी। वे अभी से अपने पिता की तरह कार की खुली छत पर खड़े होकर भाषण देने लगे हैं। अगर शिंदे गुट बाल ठाकरे के बनवाए मुख्यालय पर पुलिस की मदद से कब्जा करेगा तो मुख्यालय के बाहर ही उद्धव समर्थक शिव सैनिक जमेंगे और इसको भुनाने की पूरी कोशिश होगी। दूसरी ओर शिंदे गुट में यह सोच होगी कि थोड़े समय तक तनाव होगा लेकिन पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह मिलने के बाद अगर दादर स्थित पार्टी मुख्यालय भी मिल जाता है तो धीरे धीरे लोग उनको वास्तविक शिव सेना मानने लगेंगे।