अदानी समूह को लेकर आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच के मामले में बड़ा दिलचस्प घटनाक्रम हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई है और साथ ही शेयर बाजार की नियामक संस्था सेबी को भी इसकी जांच के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को दो महीने में स्टैट्स रिपोर्ट देने के लिए कहा था, जिसकी अवधि दो मई को पूरी हुई है। इससे पहले सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह जांच बहुत जटिल है और जो 12 संदिग्ध लेन-देन हुए हैं उनकी जांच में बहुत समय लगेगा। इस आधार पर सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से जांच के लिए छह महीने का समय और मांगा है। लेकिन दिलचस्प यह है कि सेबी ने जो अनुरोध पत्र सुप्रीम कोर्ट को दिया है उसमें कहा है कि उसने पहले ही बताया हुआ है कि उसको इसकी जांच में 15 महीने का समय लग सकता है।
इस तरह से सेबी ने अपनी पोजिशनिंग कर दी है। उसने कहा हुआ है कि इसकी जांच में 15 महीने का समय लग सकता है। सोचें, अगर छह महीने के बाद सेबी फिर समय मांगे तो क्या होगा? सेबी का रिकॉर्ड रहा है बड़े और जटिल मामलों में उसकी जांच पांच पांच साल चलती रही है। अगर उसने छह महीने के बाद फिर समय मांगा और 15 महीने में जांच पूरी करने की बात कही तो इसका मतलब है कि उसकी रिपोर्ट अगले लोकसभा चुनाव के बाद आएगी। हालांकि सेबी का इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ सिक्योरिटीज कमीशन के साथ करार है और उसे दुनिया के किसी भी बाजार से हुए लेन-देन की सारी सूचना बहुत जल्दी मिल सकती है। फिर भी अगर जांच लोकसभा चुनाव तक चलती रहती है तो विपक्ष का एक बड़ा मुद्दा उसके हाथ से निकल जाएगा। इसके अलावा ज्यादा समय तक जांच लंबित रहने से लोगों के दिमाग से भी ऐसे मुद्दों की स्मृति खत्म हो जाती है।