जब तक अकेले सत्येंद्र जैन जेल में थे तब तक उनको मंत्री पद से हटाना या उनका इस्तीफा लेना जरूरी नहीं था। लेकिन जब मनीष सिसोदिया भी जेल चले गए तो यह जरूरी हो गया कि दोनों का इस्तीफा कराया जाए। आप सरकार की मजबूरी यह है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री सहित सिर्फ सात मंत्री हो सकते हैं। उन सात में से एक अरविंद केजरीवाल को कोई मंत्रालय रखना नहीं है। उसके बाद दो लोग जेल में बंद हैं। अगर उनको मंत्री बनाए रखते हैं तो तो बचे चार लोगों के बीच ही सभी 33 विभागों का बंटवारा करना होगा। इससे सरकार का कामकाज प्रभावित होगा और विपक्ष सवाल उठाएगा। तभी मंत्रिमंडल का विस्तार करना जरूरी हो गया।
अब सवाल है कि अरविंद केजरीवाल कब अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे? पार्टी की ओर से कहा गया है कि जल्दी ही दो नए मंत्री नियुक्त किए जाएंगे। जानकार सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी उम्मीद थी। उनको लग रहा था कि पिछले दिनों जिस तरह से सर्वोच्च अदालत ने कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा को राहत दी थी और गिरफ्तारी से बचाया था उसी तरह मनीष सिसोदिया को भी राहत मिल जाएगी। लेकिन वह उम्मीद टूट गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी का मामला सुनने से इनकार कर दिया और हाई कोर्ट जाने को कहा है।
बताया जा रहा है कि केजरीवाल को पता है कि हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलेगी। फिर भी वे हाई कोर्ट में याचिका दायर होने और उस पर सुनवाई का इंतजार करेंगे। यह भी हो सकता है कि हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद वे सुप्रीम कोर्ट जाएं और वहां के फैसले का इंतजार करें। वे सिसोदिया और उनके करीबियों को यह मैसेज देना चाहेंगे कि जब सिसोदिया के तत्काल रिहा होने के सारे विकल्प समाप्त हो गए, तभी मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। वैसे भी केजरीवाल किसी हड़बड़ी में नहीं दिख रहे हैं।