इसकी संभावना बहुत कम है फिर भी कहा जा रहा है कि जनता दल यू के कुछ नेता प्रयास कर रहे हैं कि पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह की जदयू में वापसी कराई जाए। नीतीश कुमार के बाद आरसीपी जदयू में नंबर दो रहे हैं। वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और फिर केंद्र में मंत्री बने। लेकिन केंद्र में मंत्री रहते उनको पार्टी ने राज्यसभा की टिकट नहीं दी और मजबूरी में वे सरकार से बाहर हुए। उसके बाद उनको कारण बताओ नोटिस जारी हुआ और वे पार्टी से बाहर हो गए। उन्होंने नीतीश कुमार के ऊपर हमला भी किया। बताया जा रहा था कि वे भाजपा के संपर्क में हैं और नीतीश के प्रधान सचिव रहने से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल की जो भी जानकारी और गोपनीय सूचनाएं उनके पास हैं वो भाजपा को मुहैया कराएंगे और उन्हें हथियार बना कर भाजपा नीतीश को घेरेगी।
हालांकि आरसीपी सिंह ने कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं, जो अपने सारे पत्ते भाजपा के हाथ में देंगे। अभी तक भाजपा ने उनको कुछ दिया नहीं है। पिछले कुछ दिन से वे दिल्ली में बैठे हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश के करीबी और पार्टी के एमएलसी संजय गांधी पिछले दिनों दिल्ली आए थे और आरसीपी से मिले थे। वे उनकी वापसी के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। उधर जदयू ने उनकी काट के लिए पूर्व विधायक राजीव रंजन की पार्टी में वापसी कराई है। वे भी आरसीपी की तरह नीतीश की जाति के हैं और नालंदा के ही रहने वाले हैं। इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जदयू में वापसी की खबर खुद आरसीपी फैला रहे हों ताकि भाजपा उनके बारे में विचार करे। अगर भाजपा उनके बारे में बहुत सहानुभूति से विचार करती है तो उनको नालंदा लोकसभा सीट से टिकट दे सकती है। इसके अलावा पार्टी शायद ही उनको कुछ देगी। इतना तो वे जदयू में लौट कर भी हासिल कर सकते हैं।