कांग्रेस पार्टी के नेता भरोसे में हैं कि राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत मिल जाएगी। लेकिन सवाल है कि राहत लेकर राहुल गांधी क्या करेंगे? क्या कोर्ट से राहत हासिल करके अपनी लोकसभा की सदस्यता बहाल करा लेंगे तो उससे राहुल को फायदा होगा? क्या उसके बाद कांग्रेस इस बात का प्रचार करेगी कि सरकार अदालत में हार गई? इसका कोई राजनीतिक फायदा कांग्रेस को नहीं मिलेगा। इसकी बजाय राहत हासिल करने के बाद अगर राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दें वह उनके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
लेकिन उससे पहले राहत की संभावना पर गौर करें। राहुल जिस मामले दोषी करार दिए गए हैं उसमें अधिकतम सजा दो साल की होती है, जो उनको हुई है। उनके जिस बयान पर सजा हुई है उसकी भी मनमानी व्याख्या की गई है। उस व्याख्या के आधार पर उनको सजा हुई है। इसलिए संभावना है कि उनको राहत मिल जाएगी। लेकिन सवाल है कि क्या कोर्ट से राहत मिलने के बाद उनकी सदस्यता बहाल हो जाएगी? लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को भी हाई कोर्ट से राहत मिल गई है लेकिन अभी तक लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता बहाल नहीं की है। वे इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले हैं।
तभी सवाल है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से राहत हासिल करके सदस्यता बहाल कराने के लिए भटकने की बजाय राहुल गांधी को राहत मिलने के बाद सदस्यता बहाल कराने नहीं जाना चाहिए। कांग्रेस के कई नेता मान रहे हैं कि सदस्यता बहाल कराने की बजाय राहुल ऐलान कर दें कि वे 2024 में जीत कर ही फिर संसद में आएंगे और फिर देश के दौरे पर निकल जाएं तो कांग्रेस को उसका ज्यादा फायदा मिलेगा। कानूनी तरीके से सदस्यता बहाल कराने की बजाय लड़ कर सदस्य बनने से राहुल का कद भी बढ़ेगा।
अगर राहुल गांधी के 17वीं लोकसभा में ही फिर से आना है तो अदालत से राहत मिलने के बाद भी उनको वायनाड से इस्तीफा देकर दूसरी जगह से चुनाव लड़ना चाहिए। वे कर्नाटक से चुनाव लड़ सकते हैं, जहां कांग्रेस के इकलौते सांसद डीके सुरेश के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार अपने भाई और बेंगलुरू ग्रामीण सीट के कांग्रेस सांसद डीके सुरेश को विधानसभा का चुनाव लड़ाना चाहते हैं। वे अगर अभी इस्तीफा दे दें तो वह सीट खाली हो जाएगी और विधानसभा के साथ वहां लोकसभा चुनाव हो सकता है। राहुल उस सीट से लड़ें तो कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भी फायदा हो सकता है।