राहुल गांधी को सूरत की अदालत से सजा होने के बाद आनन-फानन में सदस्यता खत्म करने को लेकर कांग्रेस पार्टी के कई नेता कह रहे हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से भाजपा घबराई है इसलिए उन पर कार्रवाई हुई है। हो सकता है कि राहुल पर कार्रवाई की तैयारी पहले से हो रही थी। लेकिन मानहानि के मामले में उनको घेरने और उस बहाने सदस्यता खत्म करने का मामला संसद में दिए उनके भाषण से जुड़ा है। सूरत की अदालत में दर्ज मुकदमे की क्रोनोलॉजी देख कर ही समझ में आ जाता है कि इसको कैसे आगे बढ़ाया गया है।
राहुल गांधी ने विवादित भाषण 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के कोलार में दिया था। उसे लेकर कई जगह मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनमें एक मुकदमा भाजपा के विधायक पूरनेश मोदी ने गुजरात के सूरत में किया था। बिहार भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने भी बिहार में एक मुकदमा किया है। अभी उसकी सुनवाई नहीं हुई है। बहरहाल, सूरत में 16 अप्रैल 2019 को मुकदमा दर्ज हुआ था और दो साल तक कुछ नहीं हुआ। दो साल बाद 24 जून को राहुल गांधी ने सूरत की अदालत में अपना बयान दर्ज कराया।
सबसे दिलचस्प घटनाक्रम उसके बाद हुआ। राहुल गांधी के बयान दर्ज कराने के कोई एक साल बाद मार्च 2022 में शिकायतकर्ता भाजपा विधायक पुरनेश मोदी ने हाई कोर्ट में जाकर अपने ही मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगवा ली। इसके बाद फिर एक साल तक सब शांति रही। राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में पिछले महीने सात फरवरी को 50 मिनट का भाषण दिया, जिसका फोकस अदानी और प्रधानमंत्री के संबंधों पर था। इसके नौ दिन बाद 16 फरवरी को पुरनेश मोदी ने हाई कोर्ट से लगवाई गई अपनी रोक हटवा ली। अगले एक महीने बाद यानी मार्च को सूरत की अदालत में इस पर सुनवाई हुई और मजिस्ट्रेट ने फैसला सुरक्षित रख लिया और 23 मार्च को फैसले का ऐलान हो गया। पूरी क्रोनोलॉजी बता रही है कि संसद में राहुल का भाषण तात्कालिक कारण बना है।