सोनिया गांधी के संन्यास के संकेत का मतलब यह है कि वे अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनकी पारंपरिक राय बरेली सीट पर उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी। राय बरेली परिवार की पारंपरिक सीट रही है। आजादी के बाद 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी चुनाव लड़े थे। इसके बाद 1957 के दूसरे चुनाव में भी वे इसी सीट से चुनाव लड़े। इंदिरा गांधी ने पहली बार 1967 में इस सीट से चुनाव लड़ा था और लगातार दो बार इस सीट से सांसद रहीं। वे 1977 में इस सीट पर जनता पार्टी के राजनारायण से चुनाव हार गई थीं। फिर 1980 में वे इसी सीट से भारी मतों से जीती थीं। परिवार के सदस्य या करीबी जैसे अरुण नेहरू, शीला कौल और सतीश शर्मा भी इस सीट से जीते और सोनिया गांधी 2004 से लगातार इस सीट पर जीत रही हैं।
रायबरेली सीट पर आजादी के बाद उपचुनाव वगैरह मिला कर 19 बार चुनाव हुआ है, जिसमें 16 बार कांग्रेस जीती है। एक बार 1977 में इंदिरा गांधी हारी थीं और उसके बाद 1996 और 1998 में भाजपा तब जीती थी, जब सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में नहीं उतरी थीं। सो, यह पारंपरिक और सुरक्षित सीट प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए आरक्षित हैं। उनके लड़ने से पार्टी को अंदाजा है कि अमेठी, सुल्तानपुर और आसपास की कुछ अन्य सीटों पर असर होगा। प्रियंका के चुनाव मैदान में उतरने पर कांग्रेस पूरे राज्य में माहौल बदलने की संभावना देख रही है।
हालांकि प्रियंका के सक्रिय राजनीति में उतरने और बतौर महासचिव पार्टी को पहली बार चुनाव लड़ाने पर ही कांग्रेस अमेठी सीट हारी। स्मृति ईरानी ने कांग्रेस को हराया। अभी यह तय नहीं है कि इस बार अमेठी सीट पर राहुल गांधी लड़ेंगे या नहीं। अगर राहुल और प्रियंका दोनों अगल बगल की सीट पर लड़ते हैं तो कांग्रेस को बहुत दम लगाना होगा। इनमें से किसी का हारना कांग्रेस अफोर्ड नहीं कर सकती है। ध्यान रहे नेहरू गांधी परिवार का कोई सदस्य लगातार दो चुनाव नहीं हारा है। इसे सोच कर राहुल गांधी को लड़ने का फैसला करना होगा।