प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक पार्टी नहीं बनाई है। उन्होंने जनसुराज बनाया है, जिसके बैनर तले वे बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। लेकिन पदयात्रा शुरू होने के बाद पहला चुनाव आया तो उन्होंने इसमें हाथ आजमाया। बिहार में विधान परिषद की पांच सीटों के लिए चुनाव हुए हैं। इनमें दो सीटें सारण स्नात्तक और शिक्षक क्षेत्र की थीं। इसके अलावा गया स्नात्तक व गया शिक्षक सीट थी और एक सीट कोशी की थी। सारण शिक्षक क्षेत्र की सीट पर प्रशांत किशोर के जनसुराज ने एक स्थानीय शिक्षक आफाक अहमद को समर्थन दिया था। वे एक दूसरे स्थानीय निर्दलीय एमएलसी सच्चिदानंद राय की मदद से लड़ रहे थे।
सच्चिदानंद राय दूसरी बार निर्दलीय एमएलसी चुने गए हैं। उन्होंने आफाक अहमद के लिए प्रशांत किशोर का समर्थन हासिल किया और आफाक अहमद चुनाव जीत गए। बाद में प्रशांत किशोर ने कहा कि सारण को महागठबंधन के असर वाला इलाका माना जाता है लेकिन वहां निर्दलीय उम्मीदवार ने महागठबंधन को हरा दिया। भाजपा का उम्मीदवार तो खैर सातवें स्थान पर रहा। यह बिहार की चुनावी राजनीति में प्रशांत किशोर से जनसुराज की पहली परीक्षा थी। उन्होंने गया की एक सीट पर भी अभिराम शर्मा को समर्थन दिया था लेकिन वे चुनाव हार गए। गौरतलब है कि प्रशांत किशोर की यात्रा इस समय सारण के क्षेत्र से ही गुजर रही है। इसका भी चुनाव पर असर हुआ। लेकिन सबसे ज्यादा असर सच्चिदानंद राय का हुआ। ऐसा लग रहा है कि प्रशांत किशोर उन्हीं की तरह के लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस नतीजे का असर आने वाले दिनों में दिखाई देगा।