विपक्षी पार्टियों का मोर्चा बनने से पहले ही बिखरने लगता है। हर बार संसद का सत्र खत्म होने के बाद एक बार बिखराव दिखता है और फिर पंचायत करके विपक्षी पार्टियों को एक किया जाता है। अभी फिर पंचायत चल रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार, एमके स्टालिन और उद्धव ठाकरे को फोन किया था, जिसके बाद सुलह सफाई का प्रयास तेज हुआ है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंचे हैं ताकि विपक्षी पार्टियों के नेताओं से बात करके उन्हें भाजपा के खिलाफ एकजुट करने के लिए तैयार किया जाए। वे लालू प्रसाद से मिले हैं और उसके बाद खड़गे से भी उनकी मुलाकात हुई है। अब वे बाकी नेताओं से मिलेंगे या फोन पर बात करेंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के बीच पंचायत का काम नीतीश कुमार कर सकते हैं। देश की समाजवादी पार्टियों के साथ नीतीश के संबंध पुराने और अच्छे हैं।
उधर अदानी समूह की जेपीसी जांच को लेकर विपक्ष की पार्टियों से अलग राय जाहिर करने वाले शरद पवार अपनी बात से पीछे हट गए हैं। उन्होंने पहले कहा था कि जेपीसी की जांच से कुछ हासिल नहीं होगा, यह मांग गलत है। लेकिन अब उन्होंने कहा है कि अगर सहयोगी पार्टियां जेपीसी जांच चाहती हैं तो उनको दिक्कत नहीं है। उन्होंने चित भी मेरी पट भी मेरी वाला खेल कर दिया है। इस घटनाक्रम के बीच मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके सहयोगी संजय राउत ने शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले से मुलाकात की। हालांकि अजित पवार का इस मीटिंग में नहीं होना भी एक खटकने वाली बात है क्योंकि वे पिछले कुछ दिनों से लगातार केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं। बहरहाल, पवार परिवार के अंदर की राजनीति चाहे जो हो लेकिन विपक्ष की पार्टियों के साथ एनसीपी के संबंध सुधार की कोशिश हो रही है।