बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कांग्रेस पार्टी ज्यादा अहम है। इसलिए वे बार बार विपक्षी पार्टियों की बैठक के मामले में कांग्रेस को तरजीह दे रहे हैं। बिहार में 12 जून को होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक उन्होंने कांग्रेस की वजह से टाली है। बाकी सभी पार्टियां इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गई थीं। सभी नेताओं को यह तारीख सूट कर रही थी। सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी को जरूर 13 जून को केरल में एक कार्यक्रम में जाना था, जिसकी वजह से 12 जून को पटना में रहने में उनको थोड़ी असुविधा हो रही थी लेकिन उन्होंने इसका भी रास्ता निकाल लिया था। इससे पहले 12-13 मई को बैठक होने वाली थी। लेकिन कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के बिजी होने की वजह से बैठक टली थी। अब 23 जून को बैठक होने की बात कही जा रही है।
बहरहाल, कांग्रेस के अलावा बाकी पार्टियां 12 जून की बैठक में शामिल होने को तैयार थीं। शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने पुष्टि कर दी थी कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार को 12 जून की बैठक का निमंत्रण मिला है और दोनों उसमें हिस्सा लेंगे। ममता बनर्जी की ओर से भी पुष्टि हो गई थी। कांग्रेस भी तैयार थी। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि उनकी पार्टी ममता बनर्जी का विरोध करती रहेगी लेकिन विपक्षी बैठक में हिस्सा लेगी। फिर अचानक कांग्रेस की ओर से खबर आई कि राहुल गांधी अमेरिका में होने की वजह से बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे और मल्लिकार्जुन खड़गे का भी पहले से कोई कार्यक्रम तय है। सवाल है कि क्या नीतीश कुमार ने 12 जून की तारीख कांग्रेस से बात करके नहीं तय की थी? अगर खड़गे और राहुल दोनों अनुपलब्ध थे तो फिर यह तारीख कैस तय हो गई?
तभी सवाल है कि क्या पार्टियों के आपसी झगड़े की वजह से बैठक की तारीख टली है? क्या कांग्रेस पार्टी कुछ अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ नहीं दिखना चाहती है इसलिए उसके बड़े नेता बैठक में नहीं जाना चाहते हैं? कांग्रेस के एक जानकार नेता के मुताबिक पार्टी के दोनों शीर्ष नेता यानी खड़गे और राहुल इस समय के चंद्रशेखर राव के साथ दिखना अफोर्ड नहीं कर सकते। राज्य में अगले पांच महीने में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उसमें कांग्रेस का सीधा मुकाबला के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति से है। अगर इस समय कांग्रेस के शीर्ष नेता राव के साथ दिखेंगे तो भाजपा को यह प्रचार करने का मौका मिलेगा कि दोनों पार्टियां एक साथ हैं। इसका नुकसान कांग्रेस के होगा। उसका वोट भी केसीआर के साथ जाएगा, जबकि विपक्ष का पूरा स्पेस भाजपा को मिल जाएगा। कांग्रेस को दूसरी मुश्किल आम आदमी पार्टी के साथ है। वह कांग्रेस के असर वाले राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। आठ जून को हरियाणा में अरविंद केजरीवाल की रैली है और 18 जून से राजस्थान में अभियान शुरू होने वाला है। कांग्रेस को केजरीवाल के साथ भी तालमेल नहीं करना है और न मंच साझा करना है। इसलिए अगर 23 जून को पटना में बैठक होती है और उसमें खड़गे व राहुल हिस्सा लेते हैं तो संभव है कि केजरीवाल और केसीआर को वहां से दूर रखा जाए।