कांग्रेस पार्टी के कुछ शीर्ष नेता जरूर आम आदमी पार्टी के प्रति सद्भाव दिखा रहे हैं और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पैरवी पर अध्यादेश के मामले में आप की मदद करने पर भी विचार किया है। लेकिन कांग्रेस पार्टी में शायद ही कोई नेता होगा, जो आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के साथ तालमेल चाहता है। कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब ईकाई ने केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोला है। दिल्ली में अजय माकन ने याद दिलाया है कि केजरीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ कैसे कैसे काम किए हैं। उन्होंने स्वर्गीय राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव पास कराया हुआ है। दोनों राज्यों में कांग्रेस के वोट पर ही आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है। दिल्ली में वह भाजपा के वोट में एक फीसदी की भी कमी नहीं कर पाई है। दिल्ली में कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि अगर आप के खिलाफ पार्टी ने स्टैंड लिया तो उसका प्रवासी और मुस्लिम वोट वापस आ सकता है। कर्नाटक में मुफ्त की रेवड़ी और बजरंग दल पर पाबंदी की घोषणा से कांग्रेस अपना वोट वापस मिलने की उम्मीद कर रही है।
इसी तरह जिन राज्यों में अभी आप का असर नहीं है उन राज्यों के कांग्रेस नेता भी केजरीवाल के साथ तालमेल नहीं चाहते हैं। इस साल जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं उन राज्यों के कांग्रेस नेताओं ने पार्टी आलाकमान से कहा है कि केजरीवाल को चुनाव लड़ कर अपनी ताकत का अंदाजा कर लेने देना चाहिए। वे राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इन राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है और प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि केजरीवाल की पार्टी के लिए एक या दो फीसदी वोट हासिल करना भी मुश्किल होगा। उनकी स्थिति कर्नाटक जैसी होगी, जहां उनकी पार्टी को 0.58 फीसदी वोट मिला था। राज्यों के कांग्रेस नेता आलाकमान को याद दिला रहे हैं कि 2013 की दिल्ली वाली गलती दोहराने नहीं, बल्कि उसे सुधारने की जरूरत है।