जनता दल यू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस नेताओं से मिले तो उनके बीच एक रणनीति बनी। इसमे तय किया गया कि नीतीश कुमार उन पार्टियों के नेताओं से बात करेंगे, जो अभी यूपीए का हिस्सा नहीं हैं लेकिन भाजपा के खिलाफ मिल कर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो सकती हैं। इस रणनीतिक बैठक में राजद के नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी शामिल थे। लेकिन वे पहले से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए का हिस्सा हैं इसलिए आगे की राजनीति में उनकी कोई खास भूमिका नहीं होने वाली है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए से बाहर की कई पार्टिया हैं, जिसके नेता कांग्रेस से बात नहीं करना चाहते हैं। उनके बीच पुल का काम करेंगे नीतीश।
नीतीश कुमार ने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ बातचीत में अपनी तरफ से प्रस्ताव दिया है कि वे छह गैर यूपीए दलों से बात कर सकते हैं। इस बैठक में यह भी तय हुआ कि यूपीए के घटक दलों के साथ कांग्रेस खुद बात करेगी। यानी एनसीपी, जेएमएम, राजद, डीएमके, मुस्लिम लीग आदि पार्टियों से कांग्रेस बात करेगी। दूसरी ओर नीतीश कुमार तृणमूल नेता ममता बनर्जी, भारत राष्ट्र समिति के नेता के चंद्रशेखर राव, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात करेंगे। इन चार भाजपा विरोधी दलों के अलावा वे भाजपा के साथ सद्भाव रखने वाली दो पार्टियों- बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस से भी बात करेंगे। ध्यान रहे पिछले दिनों डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने सामाजिक न्याय पर एक सम्मेलन किया था तो उसमें भी नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी को न्योता भेजा था लेकिन दोनों ने अपना प्रतिनिधि उस सम्मेलन में नहीं भेजा।