बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लंबे राजनीतिक करियर में यह पहला मौका है, जब उन्होंने प्रदेश से बाहर की राजनीति की है और देश भर की विपक्षी पार्टियों को एक करने का प्रयास किया है। उनके बुलावे पर देश भर की पार्टियों के नेता पटना पहुंचने वाले हैं। अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक हुआ तो 12 जून को पटना में विपक्ष की बड़ी बैठक होगी। इसमें 18 पार्टियों के नेता हिस्सा ले सकते हैं। नीतीश कुमार ने पूरे देश की यात्रा करके नेताओं को निजी तौर पर आमंत्रित किया है। नीतीश कुछ नेताओं से नहीं मिल पाए हैं, उनसे भी वे 12 जून के पहले मिलने जा सकते हैं। तभी कहा जा रहा है कि उन्होंने जितने नेताओं को बुलाया है, सब पटना पहुंचेंगे। इसके तैयारी बैठक का नाम दिया गया है, लेकिन कहा जा रहा है कि इसमें विपक्षी गठबंधन की एक रूप-रेखा बन सकती है। सीटों पर बात नहीं होगी क्योंकि वह अंदरखाने तय हो रहा है कि किसको कहां आमने सामने लड़ना है और कहां सीटों का रणनीतिक तालमेल किया जाना है।
बहरहाल, नीतीश की बुलाई बैठक में राहुल गांधी नहीं जाएंगे। कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हिस्सा लेंगे। तृणमूल नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल होंगी। नीतीश ने निजी तौर पर उनसे मिल कर न्योता दिया है। इसी तरह नीतीश ने अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन, उद्धव ठाकरे और शरद पवार को मिल कर न्योता दिया है। अगर उद्धव और पवार नहीं आते हैं तो उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बैठक में हिस्सा लेंगे। नीतीश ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी मुलाकात की थी लेकिन वे बैठक में शामिल नहीं होंगे। विपक्षी एकता का प्रयास शुरू करने के बाद नीतीश की मुलाकात तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से नहीं हुई है। अगले कुछ दिन में नीतीश दोनों से मिलने जा सकते हैं। वे एचडी कुमारस्वामी से मिल चुके हैं लेकिन हो सकता है कि एचडी देवगौड़ा से भी मिलें। उनकी कोशिश इसे एक बड़ा इवेंट बनाने की है। अगर वे सफल होते हैं तो इस गठबंधन का कोऑर्डिनेटर बन सकते हैं।