अभी इस बारे में बात नहीं हुई है कि अगर विपक्षी पार्टियों की बैठक बिहार में होती है तो कहां होगी? आमतौर पर इस तरह की मुलाकातें राजधानी में होती हैं। सो, अब तक चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता या दिल्ली में ही नेता मिलते रहे हैं। तभी बिहार में भी स्वाभाविक रूप से माना जा रहा है कि अगर विपक्षी पार्टियों की बैठक होती है तो वह पटना में होगी। पटना के अलावा दो और जगहों की चर्चा हो रही है, जहां नीतीश कुमार विपक्षी पार्टियों की बैठक कर सकते हैं।
पहली जगह चंपारण है। पूर्वी या पश्चिमी चंपारण में विपक्षी पार्टियों की बैठक हो सकती है। चंपारण खा धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों महत्व है। पश्चिमी चंपारण में महर्षि वाल्मिकी का आश्रम है, जहां रामायण की रचना हुई और जहां सीता को शरण मिली थी। इस तरह वह रामायण की रचनाभूमि, सीता की शरणस्थली और लव-कुश का जन्मस्थान है। इसी तरह पूर्वी चंपारण में वह जगह है, जहां से महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह की शुरुआत की थी। इन दोनों जगहों की कमी यह है कि वहां सीधी विमान सेवा नहीं है, हवाईपट्टी नहीं है और ठहरने की अच्छी व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद नीतीश कुमार का लगभग हर राजनीतिक अभियान चंपारण से शुरू होता है।
दूसरी जगह राजगीर है, जो मुख्यमंत्री को बहुत पसंद है। पटना की बजाय राजगीर में भी विपक्षी पार्टियों का सम्मेलन हो सकता है। इस जगह का भी बहुत ऐतिहासिक महत्व है। यही बोधगया है, जहां महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसकी खास बात यह है कि यह पटना से बहुत नजदीक है। दूसरे, वहां हवाई उड़ान की सुविधा है। वहां अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है और ठहरने की अच्छी सुविधाएं हैं। सो, नीतीश कुमार को तय करना है कि वे अगर विपक्षी पार्टियों की बैठक से कोई राजनीतिक मैसेज देना चाहते हैं तो इनमें से कौन सी जगह चुनते हैं।