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मणिपुर के बाद त्रिपुरा में भाजपा का संकट

पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी के पास हिमंत बिस्वा सरमा संकटमोचन हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि पार्टी का संकट कुछ ज्यादा गहरा हो रहा है क्योंकि वे राज्यों में पार्टी नेताओं की खींचतान को सुलझा नहीं पा रहे हैं। मणिपुर के बाद अब त्रिपुरा में भाजपा के अंदर विवाद शुरू हो गया है। गौरतलब है कि मणिपुर में पिछले दिनों मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के खिलाफ विधायकों ने मुहिम छेड़ी। भाजपा के चार विधायकों ने मुख्यमंत्री के विरोध में अपने सरकारी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उनको मंत्री का दर्जा देने या विशेष सुविधा के लिए सरकारी पद दिए गए थे। लेकिन एक एक करके चार विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। वे दिल्ली में डेरा डाले हुए थे और सीएम बदलने की मांग कर रहे थे। अब कुकी, मैती विवाद के बीच 10 कुकी विधायकों ने अमित शाह से मिल कर सीएम का शिकायत की है। इसमें आठ कुकी विधायक भाजपा के हैं।

मणिपुर का यह विवाद चल ही रहा था कि त्रिपुरा में संकट शुरू हो गया है। त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद बिल्पब देब ने बाहरी नेताओं के खिलाफ अभियान छेड़ा है। उन्होंने कहा है कि बाहरी ताकतों की वजह से पार्टी के कामकाज में दिक्कत हो रही है या पार्टी को नुकसान हो रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री मानिक साहा ने कहा है कि पार्टी में किसी तरह का विवाद नहीं है लेकिन सबको स्थिति का अंदाजा है। सबको पता है कि बाहरी नेता बता कर बिप्लब देब ने जिस पर हमला किया है वह मुख्यमंत्री साहा ही हैं। गौरतलब है कि साहा छह-सात साल पहले ही कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे। बिप्लब देब को हटा कर पार्टी ने उनको मुख्यमंत्री बनाया था और इस साल चुनाव के बाद फिर से उनको सीएम बनाया गया है। मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री का यह विवाद पार्टी आलाकमान के लिए भी सिरदर्द है।

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