पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी पूर्वोत्तर में विपक्षी पार्टियों का खेल बिगाड़ रही हैं। वे ऐसी राजनीति कर रही हैं, जिससे भाजपा को सीधा फायदा होगा। बंगाल की राजनीति में बहुसंख्यक मतदाताओं को पूरी तरह से भाजपा के साथ जाने से रोकने या किसी और दबाव के कारण उन्होंने पिछले कुछ समय से भाजपा के प्रति बहुत सद्भाव दिखाया है। ऐसा लग रहा है कि उसकी अगली कड़ी पूर्वोत्तर की राजनीति में दिख रही है। तभी सवाल है कि क्या ममता भी वैसी ही राजनीति कर रही हैं, जैसी पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश में मायावती ने किया है?
बहरहाल, ममता बनर्जी ने मेघालय का दौरा किया है और सभी सीटों पर पूरी ताकत से लड़ने का ऐलान किया है। राज्य में 27 फरवरी को चुनाव होना है। वहां कांग्रेस छोड़ कर आए पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की कमान में तृणमूल चुनाव लड़ेगी। मुख्यमंत्री कोनरेड संगमा ने सहयोगी पार्टी भाजपा के साथ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। सो, एनपीपी और भाजपा दोनों सभी सीटों पर लड़ रहे हैं। इनके अलावा कांग्रेस भी सभी सीटों पर लड़ रही है। इस चारकोणीय मुकाबले में भाजपा को फायदा हो सकता है।
इसी तरह त्रिपुरा में इस बार भाजपा घिरती दिख रही है। सीपीएम और कांग्रेस ने तालमेल कर लिया है। इसका जवाब देने के लिए भाजपा किसी तरह से प्रद्योत देबबर्मा की तिपरा मोथा के साथ तालमेल के प्रयास कर रही है। इस बीच ममता बनर्जी अपनी अलग राजनीति कर रही हैं। उनके सांसद राजीब बनर्जी और सुष्मिता देब ने त्रिपुरा में डेरा डाला है। तृणमूल को जो भी वोट मिलेगा उसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।