तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव को अपने लिए आखिरी मौका मान ही हैं। अगले लोकसभा चुनाव तक वे 69 साल की होंगी। इसलिए वे 2029 का इंतजार नहीं कर सकती हैं। तभी उन्होंने तय किया है कि वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर ही चुनाव लड़ेंगी। हालांकि पिछले दिनों उनकी पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने बिना कोई चेहरा पेश किए चुनाव लड़ने का फॉर्मूला पेश किया था। लेकिन उसके बाद नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के एक बयान से ममता को मौका मिल गया है। अमर्त्य सेन से एक पत्रकार ने ममता बनर्जी के प्रधानमंत्री बनने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ममता में इसकी क्षमता है।
ममता ने इस बात को पकड़ा और ऐलान कर दिया कि अमर्त्य सेन की सलाह उनके लिए आदेश की तरह है। वे इस बात को ऐसे पेश कर रही हैं, जैसे सेन ने उनको आदेश दिया हो कि वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर चुनाव मैदान में जाएं। ऐसा करके वे बांग्ला अस्मिता का दांव खेल रही हैं। उनको पता है कि जिस तरह से उन्होंने विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बाहरी बता कर अपनी बांग्ला अस्मिता के नाम पर चुनाव जीता था वैसा चमत्कार वे लोकसभा में कर सकती हैं। अगर वे पहले बंगाली प्रधानमंत्री का दांव चलती हैं तो उनका प्रदर्शन सुधर सकता है। यह काम वे अमर्त्य सेन के बयान के बहाने कर रही हैं। ध्यान रहे 2014 में उनकी पार्टी ने राज्य की 42 में से 36 सीटें जीती थीं। लेकिन 2019 में भाजपा ने 18 सीटें जीत लीं और ममता बनर्जी को 23 सीट से संतोष करना पड़ा।