पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में इस बात को लेकर खींचतान चल रही है कि महा विकास अघाड़ी का चेहरा कौन होगा? गठबंधन किसको मुख्यमंत्री पद का दावेदान बना कर चुनाव लड़ेगा। कांग्रेस इस लड़ाई से बाहर है लेकिन शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी में अजित पवार गुट में इस बात को लेकर जंग छिड़ी है। एनसीपी के कई नेता चाहते हैं कि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी किसी का चेहरा पेश नहीं करे और जिस पार्टी के ज्यादा विधायक जीतेंगे उस पार्टी का नेता मुख्यमंत्री बने। लेकिन दूसरी ओर शिव सेना का उद्धव ठाकरे गुट चाहता है कि उद्धव के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए। एनसीपी और कांग्रेस में भी अनेक नेता इससे सहमत हैं क्योंकि उनको लग रहा है कि पार्टी टूटने के बाद उद्धव के प्रति जो सहानुभूति है उसका फायदा गठबंधन को मिल सकता है। गठबंधन को कट्टरपंथी हिंदू वोट भी मिल सकते हैं।
इस बीच खबर है कि एनसीपी के ऐसे नेता, जो अजित पवार के करीबी हैं और उनको अगला मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं वे उद्धव ठाकरे गुट की राजनीति से परेशान हैं। उन्होंने इसकी शिकायत भी की है। असल में इन दिनों महाविकास अघाड़ी की रैलियां चल रही हैं। इन रैलियों में उद्धव ठाकरे सबसे अंत में आते हैं। जब एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं के भाषण खत्म हो जाते हैं तो वे पहुंचते हैं और मंच पर उनका भव्य स्वागत किया जाता है। जनता के बीच उनके नाम का जयघोष होता है और पटाखे फूटते हैं। मंच पर उनके लिए बड़ी कुर्सी भी लगाई जाती है। पिछले दिनों संभाजीनगर और नागपुर में हुई रैलियों में ऐसा देखने को मिला। तभी एनसीपी के नेताओं ने उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेताओं से इसकी शिकायत की। अब एक मई को मुंबई में अघाड़ी की रैली होने वाली है। सो, यह देखना दिलचस्प होगा कि उद्धव ठाकरे गुट के नेता एनसीपी की शिकायत पर ध्यान देते हैं या पहले की दोनों रैलियों की तरह अपने नेता का ज्यादा भव्य स्वागत करते हैं।