महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद जब एक दिन मुंह अंधेरे उन्होंने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को इस प्लान की जानकारी थी, बल्कि वे इस प्लान का हिस्सा थे। फड़नवीस ने कहा है कि शरद पवार की सहमति के बाद ही उन्होंने शपथ ली थी। शरद पवार ने दो टूक अंदाज में इस बात का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि वे फड़नवीस को संस्कारी और अच्छा आदमी समझते थे लेकिन वे झूठ फैला रहे हैं। जिसको भी 23 नवंबर 2019 के घटनाक्रम की जानकारी है उसको पता है कि इस घटना के बाद शरद पवार कितने आहत और नाराज हुए थे और उन्होंने किस तरह से ऑपरेशन करके अपनी पार्टी के विधायकों को फिर से अपने साथ जोड़ा।
समूचा घटनाक्रम इस ओर इशारा करता है कि शरद पवार को इसकी जानकारी नहीं थी। अगर शरद पवार को यह खेल करना होता तो वे खुले तौर पर करते, जैसे 2014 में किया था। ध्यान रहे 2014 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को बहुमत नहीं मिला था और शिव सेना ने सरकार बनाने में उसका साथ नहीं दिया था। तब एनसीपी के बाहरी समर्थन से ही भाजपा ने सरकार बनाई थी। इसलिए पवार को अगर भाजपा का समर्थन करना होता तो वे खुले तौर पर कर सकते थे। वैसे भी 23 नवंबर की सुबह फड़नवीस और अजित पवार की शपथ के तुरंत बाद शरद पवार जिस तरह से सक्रिय हुए और तीन दिन के अंदर उन्होंने पासा पलट दिया उससे लगता नहीं है कि वे इस प्लान का हिस्सा थे।
वैसे भी अगर वे प्लान का हिस्सा होते और तब सरकार नहीं बनने देते तो फड़नवीस और भाजपा के नेता उसी समय उनकी पोल खोलते। लेकिन तब किसी ने ऐसा नहीं कहा। अब तीन साल के बाद फड़नवीस पोल खोल रहे हैं। असल में जब अजित पवार को शरद पवार ने महाविकास अघाड़ी की सरकार में भी उप मुख्यमंत्री बनवा दिया तभी से यह चर्चा चल रही है। अब फड़नवीस ने खास मकसद से इस बात को हवा दी है। वे कांग्रेस और शिव सेना के बीच पवार को लेकर अविश्वास पैदा करना चाहते हैं। वे अघाड़ी के अंदर के विरोधाभासों को बढ़ाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।