दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करके आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा जाहिर की है। उन्होंने रैली में जिस अंदाज में भाषण किया और जो मुद्दे उठाए उससे भी लग रहा है कि वे लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने भाषण में 12 साल पहले की याद दिलाई, जब इसी रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन का आंदोलन चला था। केजरीवाल उस आंदोलन के सूत्रधार थे। तब उस आंदोलन का फायदा भाजपा उठा ले गई थी क्योंकि तब केजरीवाल की पार्टी नई थी और उसके पास पूरे देश में संगठन नहीं था। अब वे पूरे देश में चुनाव लड़ने को तैयार हैं। तभी उन्होंने दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति को लेकर केंद्र की ओर से लाए गए अध्यादेश को अखिल भारतीय रूप दिया है।
केजरीवाल ने कहा कि यह सिर्फ दिल्ली का मामला नहीं है। उन्होंने राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का जिक्र करते हुए कहा कि कल इस तरह का अध्यादेश किसी भी राज्य में लागू हो सकता है। उन्होंने सभी राज्यों को चेतावनी दी और संविधान से लेकर संघीय ढांचे के खतरे का भय दिखाया। केजरीवाल ने अपने भाषण में 140 करोड़ लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के मसले पर देश के 140 करोड़ लोग दिल्ली वालों के साथ हैं। इससे पहले सिर्फ प्रधानमंत्री ही 140 करोड़ लोगों का जुमला बोलते थे। रामलीला मैदान से केजरीवाल ने भी यह जुमला बोला। रैली से पहले वे देश भर में घूमे हैं और विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिले हैं। उनकी रैली में एक और खास बात यह रही कि जाने माने वकील और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे कपिल सिब्बल संविधान विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए। ध्यान 12 साल पहले की रैली में संविधान विशेषज्ञ प्रशांत भूषण थे और आज सिब्बल हैं। उनके मंच पर होने से केजरीवाल के मुद्दे को वैधता मिली है।