तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की खम्मम रैली के बाद कांग्रेस पर दबाव बढ़ा है। राव की रैली में चार मुख्यमंत्री शामिल थे। कांग्रेस के प्रबंधकों के सामने चुनौती है कि वे 30 जनवरी को श्रीनगर में होने वाली कांग्रेस की रैली में उससे ज्यादा मुख्यमंत्री जुटाएं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन 30 जनवरी को होगा, जिस मौके पर शेरे कश्मीर इंटरनेशनल स्टेडियम में एक बड़ा कार्यक्रम होगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके लिए देश की 23 विपक्षी पार्टियों को चिट्ठी लिखी है और कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया है। बताया जा रहा है कि पार्टी के कुछ नेता विपक्ष के साथ बातचीत में लगाए गए हैं ताकि राहुल के कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके।
राहुल के कार्यक्रम में कितने विपक्षी नेता जुटे इसका आकलन इस आधार पर भी होगा कि के चंद्रशेखर राव की रैली में चार मुख्यमंत्री थे। राव के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी शामिल हुए और केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने भी रैली में हिस्सा लिया। एक पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी शामिल हुए। सो, अब कांग्रेस के सामने कम से कम चार मुख्यमंत्री जुटाने की चुनौती है। कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि पार्टी के लिए यह बहुत आसान नहीं होगा। हां, उनका यह जरूर कहना था कि पूर्व मुख्यमंत्री चाहे जितने कहो उतने जुटा देंगे।
इसका कारण यह है कि कांग्रेस के अपने तीन ही मुख्यमंत्री हैं। राजस्थान के अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल और हिमाचल प्रदेश के नए बने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होंगे। तीन अपनी सरकारों के अलावा कांग्रेस के समर्थन वाली तीन प्रादेशिक पार्टियों की सरकारें हैं। तमिलनाडु में डीएमके सरकार में कांग्रेस शामिल है, बिहार में महागठबंधन और झारखंड में जेएमएम की सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही है। लेकिन कांग्रेस के नेता इस बात को लेकर भरोसे में नहीं है कि एमके स्टालिन, नीतीश कुमार या हेमंत सोरेन में से कौन कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल होगा। स्टालिन और हेमंत सोरेन से इस बारे में बात की जा रही है।
आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति को कांग्रेस ने न्योता नहीं दिया है। इसलिए उनके तीन मुख्यमंत्री तो वैसे ही बाहर रहेंगे। कांग्रेस ने सीपीएम को न्योता दिया है लेकिन अगर सब ठीक रहा तो पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी कांग्रेस के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। उसके मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन तो नहीं जाएंगे। इसके बाद विपक्षी मुख्यमंत्रियों में एक ममता बनर्जी बचती हैं। वे केसीआर की रैली में नहीं गई थीं लेकिन उनका सद्भाव उसी मोर्चे के साथ है। कांग्रेस के बरक्स विपक्ष का जो मोर्चा बन रहा है ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियां उसका समर्थन करती दिख रही हैं।