कर्नाटक विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के लिए सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, बल्कि आगे की राजनीतिक दिशा बनाने वाला चुनाव है, जिसका एक पहलू यह है कि पार्टी इसके बहाने नेहरू-गांधी परिवार का करिश्मा लौटाने की कोशिश कर रही है। अगर यह कोशिश कामयाब होती है तो राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी यह संदेश जाएगा कि सोनिया गांधी का परिवार अब भी कांग्रेस को सत्ता दिला सकता है। यह संदेश बनाना इसलिए जरूरी है क्योंकि अभी प्रदेश के सभी क्षत्रप यह मानने लगे हैं कि अगर कांग्रेस जीतती है तो उनकी वजह से उसमें आलाकमान की कोई भूमिका नहीं होती है। इससे कांग्रेस आलाकमान यानी नेहरू-गांधी परिवार की नैतिक व राजनीतिक सत्ता कमजोर होती है।
कर्नाटक में भी पहले दिन से यह माहौल बनाया गया है कि कांग्रेस को डीके शिवकुमार और सिद्धरमैया चुनाव लड़ा रहे हैं और अगर कांग्रेस जीतेगी तो इन दो नेताओं की वजह से जीतेगी। उसमें ज्यादा से ज्यादा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को थोड़ा श्रेय दिया जा सकता है क्योंकि वे भी कर्नाटक के हैं। यह माहौल सिर्फ राजनीतिक कारणों से नहीं बना था, बल्कि मीडिया ने भी चुनाव को इसी तरह से प्रचारित किया था। मीडिया ने ऐसी धारणा बनाई कि अगर कांग्रेस जीतती है तो वह स्थानीय नेतृत्व की वजह से जीतेगी और हारेगी तो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व की कमजोरी से हारेगी। इसी तरह भाजपा के बारे में यह धारणा बनाई गई कि अगर भाजपा जीतती है तो नरेंद्र मोदी की वजह से जीतेगी और हारती है तो प्रदेश नेतृत्व की कमजोरी से हारेगी।
मीडिया के इस नैरेटिव को कांग्रेस आलाकमान ने समझा और उसके बाद प्रादेशिक नेतृत्व पर से फोकस हटाने का काम हुआ। उसके बाद ही तय हुआ कि पूरा गांधी परिवार प्रचार करेगा। राहुल गांधी की रैलियां बढ़ाई गईं और साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा की भी ज्यादा रैली कराने का फैसला हुआ। इससे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा ने हिमाचल प्रदेश में प्रचार किया था और राहुल गांधी गुजरात गए थे। प्रियंका को हिमाचल की जीत का श्रेय मिला था और राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठे थे। तभी यह कहा जा रहा था कि कर्नाटक में प्रियंका सिर्फ औपचारिकता के लिए प्रचार करने जाएंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने अनेक रोड शो किए और रैलियां कीं।
अब कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी भी एक रैली करेंगी। सोचें, पिछले कई चुनावों से वे कोई जनसभा नहीं कर रही हैं। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में भी सोनिया गांधी ने एक वर्चुअल रैली की थी। उसके अलावा हर राज्य के चुनाव के समय उनका एक वीडियो संदेश जारी होता था और वे एक चिट्ठी लिख देती थीं। लेकिन वे कर्नाटक के हुबली में छह मई को एक चुनावी रैली करेंगी। इस तरह सोनिया और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने कर्नाटक प्रचार की कमान संभाली है। कांग्रेस के जीतने पर श्रेय उनको मिलेगा, जिससे उनकी धमक बनेगी और इसका असर बाकी राज्यों में भी दिखेगा, जहां साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं।