कर्नाटक में कांग्रेस को जातियों का संतुलन साधने की चुनौती पैदा हो गई है। पहले कहा जा रहा था कि कांग्रेस तीन उप मुख्यमंत्री बनाएगी। इससे सभी जातियों का बराबर प्रतिनिधित्व हो जाएगा। अब सिर्फ एक उप मुख्यमंत्री बनाने का फैसला हुआ है क्योंकि शिवकुमार ने यह शर्त रख दी थी कि वे उप मुख्यमंत्री का पद तभी संभालेंगे, जब अकेले उप मुख्यमंत्री बनेंगे। सो, अब ओबीसी समुदाय से आने वाले सिद्धरमैया मुख्यमंत्री बनेंगे और वोक्कालिगा समुदाय से डीके शिवकुमार उप मुख्यमंत्री बनेंगे। शिवकुमार प्रदेश अध्यक्ष भी बने रहेंगे। तभी ओबीसी और वोक्कालिगा के अलावा बाकी जातियों का संतुलन बनाना कांग्रेस के लिए चुनौती बन गया है।
अगर तीन उप मुख्यमंत्री बनते तो शिवकुमार के अलावा एक लिंगायत और एक नायक या वाल्मिकी समुदाय का व्यक्ति उप मुख्यमंत्री बन सकता था। अब ऐसा नहीं होगा। ध्यान रहे इस बार कांग्रेस की टिकट पर बड़ी संख्या में लिंगायत विधायक जीते हैं। सरकार में उनका बेहतर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो समुदाय का वोट भाजपा की ओर लौटने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। लोकसभा चुनाव तक लिंगायत मतदाताओं को खुश रखने के लिए जरूरी होगा कि भाजपा से आए दोनों बड़े लिंगायत नेताओं- जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी को अच्छी जगह मिले। ध्यान रहे शेट्टार विधानसभा का चुनाव हार गए हैं। फिर भी कांग्रेस को उनका ध्यान रखना होगा। दलित और मुस्लिम समुदाय को भी सरकार में अच्छी जगह देनी होगी। सो, मुख्यमंत्री का फैसला कर लेने के बाद कांग्रेस की चुनौतियां समाप्त नहीं हो गईं, बल्कि नई चुनौती शुरू हो गई।