कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को सिद्धरमैया की चिंता सता रही है। ऐसा दिख रहा है कि पार्टी के नेता वोक्कालिगा वोट को टारगेट कर रहे हैं और उसे अपने साथ जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन असल में कांग्रेस को सिद्धरमैया और पिछड़ा वोट की चिंता है। जानकार सूत्रों के मुताबिक प्रदेश भाजपा को जमीनी फीडबैक मिली है कि पिछड़ा वोट सिद्धरमैया के लिए एकजुट हो रहा है। उन्होंने ऐलान किया हुआ है कि यह उनका आखिरी चुनाव है। उनकी इस भावनात्मक अपील का असर हुआ है। ध्यान रहे कर्नाटक में 35 फीसदी के करीब आबादी पिछड़ी जाति की है, जिसके बीच सिद्धरमैया का बहुत असर है।
कांग्रेस ने उन्हें पांच साल तक मुख्यमंत्री बना कर रखा था। उसके बाद हुए चुनाव में पार्टी हारी लेकिन बाकी राज्यों की तरह उसका सफाया नहीं हुआ। कांग्रेस 80 सीट जीतने में कामयाब रही थी। कांग्रेस को 42 सीट का नुकसान हुआ था लेकिन पांच साल राज के बाद उसका वोट डेढ़ फीसदी बढ़ा था और यह ओबीसी कंसोलिडेशन की वजह से हुआ था। तभी कर्नाटक की राजनीति में भले चर्चा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार की हो रही है और उनके वोक्कालिगा समर्थकों का शोर है लेकिन भाजपा को उनकी चिंता नहीं है। भाजपा को पता है कि शिवकुमार के बावजूद वोक्कालिगा वोट थोक में देवगौड़ा परिवार की पार्टी जेडीएस के साथ जाएगा। लेकिन ओबीसी वोट पूरी तरह से सिद्धरमैया की वजह से कांग्रेस के साथ एकजुट हो सकता है। तभी पार्टी की ओर से लगातार सिद्धरमैया को निशाना बनाया जा रहा है। पार्टी के एक नेता और राज्य सरकार के मंत्री सीएन अश्वथ नागराज ने तो उनको खत्म करने की बात कह दी थी। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी बात पर खेद जताया।