भाजपा के लिए सबसे अधिक चिंता वाले तीन या चार राज्यों में एक राज्य कर्नाटक है। वहां पार्टी जिस तरह से हारी है और कांग्रेस को जितनी बड़ी जीत मिली है उससे भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चिंता में है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कर्नाटक के मामलों में दिलचस्पी ले रहे हैं। ध्यान रहे विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रचार जम कर किया था लेकिन उससे पहले टिकट बंटवारे आदि में उन्होंने ज्यादा रूचि नहीं ली थी। जब टिकट बंटवारे की गड़बड़ियों की चर्चा हुई और पुराने नेताओं ने पार्टी छोड़नी शुरू की तब उन्होंने केएस ईश्वरप्पा से बात की थी।
भाजपा के जानकार सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव में संगठन महासचिव बीएल संतोष ने अहम भूमिका निभाई थी। उनके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी भी सक्रिय थे। मुख्यमंत्री के साथ मिल कर इन नेताओं ने ज्यादातर फैसले कराए। इससे बीएस येदियुरप्पा भी नाराज थे। तभी अब कहा जा रहा है कि बीएल संतोष की कर्नाटक में भूमिका कम होगी। प्रधानमंत्री खुद वहां नजर रखेंगे। यह भी बताया जा रहा है कि येदियुरप्पा को फिर से आगे लाने और लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने को कहा जा सकता है। पार्टी के जानकार सूत्रों के मुताबिक चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होनी और नया संगठन बनना है। उससे पता चलेगा कि लोकसभा में किस नेता को तरजीह मिलेगी और किसकी छुट्टी होगी।