राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

जेएमएम को बिहार की पार्टियों से चिंता!

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुले दिन से बिहार की दोनों प्रादेशिक पार्टियों- राजद और जदयू के नेताओं का स्वागत कर रहे हैं। पिछले दिनों राजद नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव उनसे मिलने गए थे। उसके बाद जदयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के साथ रांची पहुंचे और हेमंत से मिले। हेमंत सोरेन दोनों पार्टियों के प्रति सद्भाव दिखा रहे हैं लेकिन उनको चिंता भी हो रही है। उनको गठबंधन को लेकर चिंता है। जेएमएम, कांग्रेस और राजद पहले से गठबंधन में हैं। अगर जदयू भी उसका हिस्सा बने तो सीटों के बंटवारे में मुश्किल आ सकती है। उनकी पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि अगर राजद और जदयू की ताकत बढ़ती है तो वे ज्यादा सीटों के लिए मोलभाव करेंगे।

दूसरी ओर कुछ ऐसे भी नेता हैं, जिनको लग रहा है कि बिहार की पार्टियों का गठबंधन में रहना, जितना फायदेमंद है उससे ज्यादा फायदा अलग लड़ने से है। असल में झारखंड के बिहारी मतदाता आमतौर पर जेएमएम को वोट नहीं करते हैं। वे पारंपरिक रूप से भाजपा को वोट देते हैं। अगर बिहार की पार्टियां अलग लड़ें तो उससे भाजपा के वोट में सेंध लगेगी। राजद का असर यादव मतदाताओं में है, जिनका रूझान भाजपा की ओर दिख रहा है। ध्यान रहे पिछले विधानसभा चुनाव में राजद छह सीटों पर लड़ी थी लेकिन सिर्फ एक सीट जीत पाई थी। जदयू का असर कुर्मी मतदाताओं में हो सकता है, लेकिन उसकी राजनीति पहले से जेएमएम और आजसू करते हैं। आदिवासी, मुस्लिम और ईसाई वोट पहले से जेएमएम के साथ जुड़े हैं। इसलिए जेएमएम के कई नेता अपनी ताकत के दम पर लड़ने की सोच रहे हैं।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *