पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की भारी भरकम जीत के बाद दूसरी बार लोकसभा का उपचुनाव होने जा रहा है। पहली बार संगरूर लोकसभा का उपचुनाव हुआ था, जहां से खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान जीते थे। उनके इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर शिरोमणी अकाली दल (अमृतसर) के कट्टरपंथी नेता सिमरनजीत सिंह मान जीत गए थे। आम आदमी पार्टी तो हारी ही लेकिन कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल तीनों भी पीछे छूट गए। अब जालंधर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। यह सीट कांग्रेस सांसद संतोख सिंह चौधरी के निधन से खाली हुई थी। गौरतलब है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान संतोख चौधरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। इस सुरक्षित लोकसभा सीट पर 10 मई को मतदान होना है।
यह सीट कांग्रेस के लिए इसलिए अहम है क्योंकि यह उसकी सीटिंग सीट है। उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में यह सीट जीती थी। अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और कांग्रेस उससे पहले यह सीट गंवाना अफोर्ड नहीं कर सकती है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी अपनी इकलौती लोकसभा सीट गंवा चुकी है। इसलिए उसका प्रयास किसी तरह से लोकसभा में खाता खोलने का होगा। आखिर उसने विधानसभा चुनाव में राज्य की 117 में से 92 सीटें जीती हैं। इतनी बड़ी जीत के बाद अगर वह लोकसभा में खाता नहीं खोल पाती है तो उसके लिए चिंता की बात होगी। कांग्रेस ने यह सीट जीतने के लिए भावनात्मक दांव चल दिया है। उसने दिवंगत सांसद संतोख चौधरी की पत्नी करमजीत कौर को उम्मीदवार बनाया है। गौरतलब है कि राज्य में इस समय खालिस्तानी कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल की फरारी का बड़ा मुद्दा बना है और राज्य की राजनीति पूरी तरह से बंटी हुई है। पंजाब की चरमपंथी राजनीति की भी परीक्षा जालंधर लोकसभा सीट के उपचुनाव में होगी। सिमरनजीत सिंह मान जैसे नेता खुल कर अमृतपाल का समर्थन कर रहे हैं।