गुजरात में पिछले साल विधानसभा चुनाव से कोई एक साल पहले पूरी सरकार बदल दी गई थी। मुख्यमंत्री विजय रूपानी सहित उनकी सरकार के सारे मंत्रियों की छुट्टी हो गई थी। बाद में उनमें से कई लोगों को टिकट नहीं दी गई। खुद रूपानी पहले पूर्व मुख्यमंत्री हुए और अब पूर्व विधायक भी हो गए हैं। सवाल है कि क्या इन नेताओं को राजनीतिक करियर अब समाप्त हो गया या पार्टी में उनके लिए कोई गुंजाइश है? रूपानी के साथ साथ साथ पैदल हुए नेताओं में नितिन पटेल, सौरभ पटेल, आरसी फालदू, भूपेंद्र चूड़ासमा जैसे कई बड़े नेता शामिल हैं। इनसे पहले भी कई नेता सरकार से हटे थे और अब तक पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि आनंदी बेन पटेल का बदलाव हुआ हो या विजय रूपानी का, हर बार हटाए गए नेताओं को बड़े बड़े वादे किए गए थे। लेकिन एकाध लोगों को छोड़ कर किसी को कहीं पद नहीं मिला। तभी पार्टी के नेता बेचैन हो रहे हैं। मुश्किल यह है कि केंद्र सरकार में गुजरात का जैसा वर्चस्व है और जितने राज्यपाल या उप राज्यपाल आदि बनाए गए हैं उन्हें देखते हुए अतिरिक्त नेताओं को एडजस्ट करना मुश्किल है। सरकार के शीर्ष पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं। राज्यपालों में आनंदी बेन पटेल और मगनभाई पटेल हैं। प्रफुल्ल खोड़ा पटेल दो केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक हैं। सो, गुजरात के हटाए गए नेताओं के लिए बहुत संभावना नहीं है। जानकार सूत्रों का कहना है कि उनमें से कुछ को अगली बार लोकसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है। इस साल राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। अगर भाजपा नए चेहरे लाने की सोचती है तो किसी को जगह मिल सकती है।