त्रिपुरा में सीपीएम ने विधानसभा चुनाव के लिए 46 उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं। राज्य की 60 में से 46 सीटों पर सीपीएम लड़ेगी और बाकी सीटें उसने कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं। इस बार सीपीएम ने त्रिपुरा में भाजपा का गुजरात मॉडल लागू किया है। पार्टी ने एक को छोड़ कर पिछले साले विधायकों की टिकट काट दी है। पिछले चुनाव में सीपीएम के 16 विधायक जीते थे, जिनमें पांच बार मुख्यमंत्री रहे मानिक सरकार भी शामिल थे। इस बार मानिक सरकार सहित 15 विधायक चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। सिर्फ एक निवर्तमान विधायक को टिकट दी गई है। याद करें इसी तरह से गुजरात में पिछले साल के चुनाव से पहले भाजपा ने पूरी सरकार बदल दी थी और पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी सहित उनकी सरकार के लगभग सभी मंत्रियों की टिकट काट दी थी।
विजय रूपानी और वरिष्ठ मंत्रियों को टिकट नहीं देते हुए भाजपा ने जो कहा था बिल्कुल वहीं बात सीपीएम ने भी कही है। भाजपा ने कहा था कि ये नेता खुद ही चुनाव नहीं लड़ता चाहते हैं। कई नेताओं ने चिट्ठी लिख कर कहा था कि उनको टिकट नहीं दी जाए। उसी तरह सीपीएम ने भी कहा है कि मानिक सरकार सहित लगभग सभी विधायक चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। इसलिए उनकी जगह नए लोगों को टिकट दी गई है। गुजरात में भाजपा का प्रयोग तो सफल हो गया था लेकिन त्रिपुरा में सीपीएम का सफल होगा या नहीं यह नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि राज्य की राजनीति के जानकारों का मानना है कि मानिक सरकार के चेहरे पर चुनाव लड़ने का सीपीएम को ज्यादा फायदा होता। उनके नहीं लड़ने से पार्टी कमजोर हुई है। बहरहाल, इसका पता दो मार्च को नतीजों से चलेगा।