इस साल होने वाले 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता बनाने के प्रयासों की शुरुआत हो गई है। विपक्ष के पहले गठबंधन का ऐलान हो गया है। मंगलवार को त्रिपुरा में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के नेताओं की बैठक हुई और तालमेल का फैसला हुआ। इसके एक दिन बाद बुधवार को सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने तालमेल का ऐलान कर दिया। हालांकि अभी यह पता नहीं चला है कि दोनों पार्टियों में सीटों का बंटवारा किस तरह से होगा। बताया जा रहा है कि सीपीएम और कांग्रेस दोनों की तरफ से राज्य की एक क्षेत्रीय पार्टी तिपरा मोथा के साथ तालमेल की बात होगी और उसके बाद ही सीटों का फैसला होगा।
हालांकि तिपरा मोथा के साथ मुश्किल यह है कि वह वृहत्तर त्रिपुरा की मांग करने वाली पार्टी है। इसके बावजूद उसके नेता प्रद्योत देबबर्मा को इस बार चुनाव लड़ना है और अकेले लड़ने का नुकसान उनको पता है। ध्यान रहे पिछले चुनाव में सीपीएम को 42 फीसदी वोट और 18 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ दो फीसदी वोट मिल पाए थे। भाजपा और इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के तालमेल की वजह से भाजपा को फायदा हो गया था। इस बार दोनों पार्टियों के आठ विधायक पार्टी छोड़ कर गए हैं। भाजपा को स्थानीय कारणों से मुख्यमंत्री बदलना पड़ा है। इसके बावजूद दोनों पार्टियों के गठबंधन को हराने के लिए सीपीएम, कांग्रेस और तिपरा मोथा को साथ आना होगा। अगर पूर्वाग्रह छोड़ कर तीनों पार्टियों के नेता ममता बनर्जी से बात करें और तृणमूल को भी गठबंधन में शामिल करें तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा।